संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रवेश शुरू, छात्र सेना में धर्मगुरु, अर्चक, पौरोहित्य कर्मकांड में बनेंगे दक्ष

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Published By Muskan Dixit
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लखनऊ, अमृत विचार: केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय गोमतीनगर परिसर में वेद पौरोहित्य कर्मकांड में स्नातक और स्नातकोत्तर सत्र 2025-2026 के लिए प्रवेश प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी है। प्रवेश के लिए नान सीयूईटी के माध्यम से आवेदन लिए जा रहें है जिसकी अंतिम तिथि 5 मई है। प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार के माध्यम से प्रवेश दिये जायेंगे। इसी प्रकार एमए पॉलि भाषा में भी प्रवेश प्रक्रिया आरंभ की गई है जिसका प्रवेश परीक्षा और साक्षात्कार के बाद किया जाएगा।

विश्वविद्यालय के कुलगुरु व कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेडी के प्रयास से यह विभाग वेद पौरोहित्य कर्मकांड विद्याशाखा के नाम से जाना जाता है। जिससे छात्रों को लाभ मिल रहा है, इस पाठ्यक्रम को करने के बाद युवक भारतीय सेना में धर्मगुरु, मंदिर में अर्चक, संस्कारों की उत्तम जानकारी व पौरोहित्य कर्मकांड में दक्षता प्राप्त करेंगे।

इसके अलावा वेदों के महत्वपूर्ण अंशों को अत्यंत सरलतम रूप में पढ़ाया जाता है। समय-समय पर व्याख्यानमाला, वाग्वर्धिनी सभा आदि का आयोजन किया जाता है, जिसमें अध्ययनरत छात्रों के अतिरिक्त समाज में इस विद्या के अनुरागी लोग भी लाभ उठाते हैं। कर्मकांड के जटिल विषयों के थ्योरी के साथ साथ प्रैक्टिकल भी परिसर स्थित सरस्वती मंदिर में कराई जाती हैं। परिसर निदेशक प्रो. सर्वनारायण झा ने कहा कि हमारा लक्ष्य आने वाली पीढ़ी को इस अमूल्य निधि को संरक्षित संवर्धित रखना और अपने प्राचीन परंपराओं से जोड़ना, उन्हें वैश्विक मंच पर नेतृत्व करने के लिए तैयार करना है। वेद पौरोहित्य कर्मकांड विद्याशाखा के संयोजक प्रो. भारतभूषण त्रिपाठी का कहना है कि सभी को वैदिक ज्ञान परम्परा को जानने के पिपासुओं को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। इस कार्यक्रम के अध्येताओं को यूजीसी नेट, जेआरएफ की तैयारी के लिए भी विशेष पाठ्यक्रम का निर्माण किया गया है।

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