सप्तऋषि आश्रम की यज्ञशाला पर मजार बनाने का आरोप, मुख्यमंत्री से की अवैध कब्जा हटाने की मांग
Controversy over the tomb of Syed Salar Sahu Ghazi : कस्बा सतरिख के मोहल्ला काजी स्थित सैयद सालार साहू गाजी की मजार को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। भाजपा नेताओं ने मंगलवार को इसे महर्षि वशिष्ठ के सप्तऋषि आश्रम का हिस्सा बताते हुए मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा।
एसडीएम विवेकशील यादव को ज्ञापन सौंपकर बताया कि सप्तऋषि आश्रम में भगवान श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ रहकर सप्तऋषियों से शिक्षा ग्रहण की थी। जिस जगह को मजार का रूप दिया है वह सप्तऋषि आश्रम के मंदिर की यज्ञशाला है। भाजपा नेताओं ने इस कब्जे को हटवाने और यहां लगने वाले मेले पर रोक लगाने की मांग की। भाजपा नेताओं ने ज्ञापन में बताया कि सतरिख स्थित मजार सैयद सालार साहू गाजी की है, जो महमूद गजनवी का सेनापति था। गजनवी के साथ आए सालार साहू गाजी ने सोमनाथ मंदिर पर हमला करने के साथ काफी संख्या में हिंदुओं का कत्लेआम करने के साथ उनका जबरन धर्म परिवर्तन कराया था। बाद में महाराजा सुहेलदेव पासी ने बहराइच के युद्ध में उसे पराजित कर मार गिराया था।
इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करते हुए उसे सूफी बताकर यहां मेला आयोजित किया जाता है, जो पूरी तरह गलत परंपरा है। भाजपा विधि प्रकोष्ठ के जिला संयोजक अनूप कुमार यादव ने कहा कि गलत तथ्यों और इतिहास के आधार पर लोगों को भ्रमित करने वाली इस परंपरा पर रोक लगाई जाए।भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष आशुतोष अवस्थी ने कहा कि मेले का स्थल सप्तऋषि आश्रम के मंदिर की यज्ञशाला है। वहां आज भी एक चक्र मौजूद है। वहां सालार साहू की कब्र बनाकर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है।
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