बाराबंकी : महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध, आयोग की सदस्या अंजू प्रजापति ने सुनीं शिकायतें
बाराबंकी : उप्र राज्य महिला आयोग की सदस्य अंजू प्रजापति ने बुधवार को बाराबंकी का दौरा किया। उन्होंने डीआरडीए सभागार में पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं की समस्याएं सुनीं। इस दौरान उन्हें 45 शिकायती पत्र मिले। प्रजापति ने कहा कि प्रदेश सरकार महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार हर साल मिशन शक्ति अभियान चलाती है। इससे महिलाओं और बालिकाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाता है।
उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे महिलाओं की छोटी-बड़ी शिकायतों को गंभीरता से लें। साथ ही जल्द कार्रवाई कर न्याय दिलाएं। इससे पीड़िताओं को न्याय के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। महिला आयोग की सदस्य ने बताया कि सरकार बहन-बेटियों की सुरक्षा के लिए 1090 और 181 हेल्पलाइन चला रही है। कोई भी महिला इन टोल फ्री नंबरों पर शिकायत कर सकती है। अगर समय पर न्याय नहीं मिलता है तो राज्य महिला आयोग में शिकायत दर्ज करा सकती हैं। कार्यक्रम में जिला प्रोबेशन अधिकारी डॉ. पल्लवी सिंह, क्षेत्राधिकारी रामनगर गरिमा पंत, जिला समाज कल्याण अधिकारी सुषमा वर्मा, जिला सूचना अधिकारी आरती वर्मा, नायब तहसीलदार प्रियंका शुक्ला, बीईओ सुषमा सेंगर और बाल सरंक्षण अधिकारी हरीश समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।
सीएचसी, आंगनबाड़ी और स्कूल में मिली गंदगी
राज्य महिला आयोग की सदस्या अंजू प्रजापति ने कस्बा सतरिख स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण किया। वहीं चिकित्सकों की उपस्थिति व दवाओं की उपलब्धता देखी और मौके पर उपस्थित मरीजों से बातचीत की। परिसर में उन्हें काफी गंदगी मिली। जिसकी साफ-सफाई के निर्देश दिए। इसके बाद सतरिख के प्राथमिक विद्यालय व उसी परिसर में बने आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण किया। वहां भी उन्हें गंदगी मिली। परिसर में जलभराव की समस्या दूर करने व समुचित साफ-सफाई के निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिये। इस दौरान अंजू प्रतापति ने शिक्षक, शिक्षिकाओं और बच्चों से बातचीत की।
सीएचसी पर गर्भवती को भर्ती करने से किया इनकार
एक गर्भवती महिला को सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए तड़पना पड़ा। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सतरिख में स्वास्थ्य कर्मियों ने कागजात न होने का हवाला देकर उसे भर्ती करने से मना कर दिया। छत्तीसगढ़ के विलासपुर जिले की सबिता बाई गोंड अपने पति कालेश्वर गोंड के साथ सतरिख क्षेत्र के नानमऊ गांव के पास एक भट्टे पर मजदूरी करती हैं। सात माह की गर्भवती सबिता को बुधवार सुबह दर्द होने लगा। परिवार वाले उन्हें हरख ब्लॉक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सतरिख ले गए।
अस्पताल में टीकाकरण, हेपेटाइटिस और खून की जांच रिपोर्ट न होने का हवाला देकर भर्ती करने से मना कर दिया गया। करीब तीन घंटे तक वह दर्द से तड़पती रहीं। स्वास्थ्य कर्मियों ने उन्हें प्राइवेट अस्पताल जाने की सलाह दी। मजबूरन परिवार को उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सीएचसी सतरिख में आये मरीजों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में प्रसूताओं से अवैध वसूली की जा रही है।
भोजन के नाम पर केवल बिस्किट और पानी दिया जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारी नियमित निरीक्षण भी नहीं करते हैं, जिससे अस्पताल कर्मियों के हौसले बुलंद हैं। एसीएमओ डॉ. डीके श्रीवास्तव ने कहा कि मामला गंभीर है। मरीज का प्राथमिक उपचार अस्पताल में पहली प्राथमिकता है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो मामले की जांच की जाएगी और जांच रिपोर्ट डीएम और सीएमओ को भेजी जाएगी। उसके बाद दोषी लोगों पर कार्रवाई की जाएगी
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