कासगंज: स्कूल संचालकों की मनमानी को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन, डीएम को सौंपा ज्ञापन 

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Published By Vikas Babu
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कासगंज, अमृत विचार: शुक्रवार को विद्यालय संचालकों की मनमानी को लेकर विरोध के स्वर उठे। कांग्रेस, बजरंग दल और सामाजिक संगठनों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय पर धरना प्रदर्शन कर अभिभावकों के शोषण पर लगाम लगाने की मांग की। उनका कहना था कि स्कूल संचालकों की मनमानी के चलते पाठ्यक्रम और यूनिफॉर्म के नाम पर अभिभावकों की जेब पर डाका डाला जा रहा है। प्रशासन द्वारा अभियान चलाकर पुस्तक विक्रेताओं और स्कूल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मनोज पांडेय के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मोटरसाइकिलों से प्रभु पार्क से जिलाधिकारी कार्यालय तक प्रदर्शन किया। जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन के बाद सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ महामहिम राज्यपाल को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया। जिलाध्यक्ष मनोज पांडेय ने बताया कि हर विद्यालय अपना अलग कोर्स बनाकर अपनी बताई दुकानों से अभिभावकों को खरीदारी करने के लिए बाध्य करता है। शिक्षा को कारोबार बना दिया गया है। यह पूरी तरह बंद होना चाहिए।

मुनेंद्र पाल सिंह राजपूत ने कहा कि सरकार को हस्तक्षेप कर जनता का शोषण बंद कराना चाहिए। युवा कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष अमित यादव भय्यू ने कहा कि स्कूल और दुकानदार मिलकर जनता को लूट रहे हैं। राष्ट्रीय छात्र संगठन के जिलाध्यक्ष दीपक धनगर ने कहा कि अगर यह लूट बंद नहीं हुई तो छात्र संगठन इनके विरुद्ध बड़े स्तर पर आंदोलन करेगा।

सौरभ पाल, योगेश श्रीवास्तव, दीप कुमार पांडेय, जिलाध्यक्ष सतेंद्रपाल सिंह, डॉ. मोहम्मद मियां, कमल कुमार गुप्ता, संजीव सिसोदिया, रमेश धनगर, नूर मोहम्मद नूरी, मुन्नी देवी, धर्मेश शर्मा एडवोकेट, धर्मेंद्र सिसोदिया एडवोकेट, श्याम बाबू चंचल, अली हसन सोहराब, जतिन पाल, अभिषेक दुबे, चैतन्य प्रकाश, गुड्डू, अभय, रतन माहेश्वरी, राजा सलमानी, संतोष कुमार, सर्वेश कठेरिया, पवन यादव, सुधीर गोला, वीरेंद्र सिंह, शिवम प्रताप सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

चेतावनी: पाठ्यक्रम के रेट किए जाएं सार्वजनिक
सामाजिक कार्यकर्ता हरवीर भारतीय और बजरंग दल का आरोप है कि स्कूल किताबों और यूनिफॉर्म के लिए मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। छात्रों को केवल स्कूल द्वारा चुनी गई दुकानों से ही सामान खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। यहां सामान बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमत पर बेचा जाता है। स्कूल प्रबंधन हर साल यूनिफॉर्म का रंग, डिज़ाइन या प्रतीक चिह्न बदल देता है, जिससे अभिभावकों को हर साल नई यूनिफॉर्म खरीदनी पड़ती है।

ट्यूशन फीस के अलावा बिल्डिंग फंड, स्मार्ट क्लास फंड, डेवलपमेंट फंड, कंप्यूटर फंड और इवेंट फंड जैसे कई अतिरिक्त शुल्क भी लिए जाते हैं। अभिभावकों का कहना है कि इन फंड की कोई पारदर्शिता नहीं है। उनसे बिना किसी स्पष्ट विवरण के हजारों रुपये एक साथ जमा करने को कहा जाता है। यह व्यवस्था न केवल नियमों के खिलाफ है, बल्कि शिक्षा को केवल अमीरों तक सीमित कर रही है।

जिला प्रशासन से मांग की गई है कि पाठ्यक्रम और यूनिफॉर्म के रेट निर्धारित कर उन्हें सार्वजनिक किया जाए।
राजदिवाकर, सुशांत पाल, गौरी शंकर महेरे, राजा उपाध्याय, प्रिंस पाराशर, प्रशांत श्रोती, विपिन शाक्य, आकाश सैनी, और सामाजिक कार्यकर्ता हरवीर सिंह भारतीय के साथ संगठन के कार्यकर्ताओं राघवेंद्र कुमार, समीर वर्मा, सुल्तान सिंह, जयसिंह, गुड्डू यादव, सोनी, प्रिंस कुमार, सुमित सिंह, रामलखन सिंह, बृजभूषण सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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