कानपुर में BJP कार्यालय के बाहर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पढ़ी हनुमान चालीसा: बोले- भाजपा का सांसद, मेयर, पार्षद, फिर भी दर्ज हो गई FIR

Amrit Vichar Network
Published By Nitesh Mishra
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कानपुर, अमृत विचार। राम नवमी के दिन शोभायात्रा के दौरान साउंड बजाने को लेकर हुये विवाद और पुलिस प्रशासन की ओर से दर्ज की गई एफआईआर का विरोध शुरू हो गया है। गुरुवार को अहिप राष्ट्रीय बजरंग दल ने भाजपा के क्षेत्रीय मुख्यालय के बाद हनुमान चालीसा पढ़कर विरोध जताया। हिंदू अनुयायियों पर एफआईआर के बाद भाजपा जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों द्वारा सहयोग न करने पर रोष जताया। राष्ट्रीय बजरंग दल के महामंत्री रामजी तिवारी ने कहा कि हमे खेद है कि जिस सरकार को तन मन से जितवाया है उसी के खिलाफ आज विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है।     

केशव नगर स्थित भाजपा के क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर राष्ट्रीय बजरंग दल ने मौन धरना-प्रदर्शन किया। धरने पर बैठे पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं और संतों ने तख्तियों में मैसेज लिखकर भाजपा पर भी प्रहार किया। तख्तियों पर भाजपा की सरकार रामभक्तों पर प्रहार, भाजपा का राज हिंदुंओं पर गाज, हिंदुओं की सरकार हिंदुओं पर एफआईआर जैसे स्लोगन लिखे गए।

रामजी तिवारी ने कहा कि रातवपुर मसवानपुर और मेस्टनरोड में श्रीराम नवमी पर परम्परागत उत्सव में पुलिस ने दुर्व्यवहार किया। जबरन लाउडस्पीकर उतरवाए। जिसके फलस्वरूप रामभक्तों का मनोबल टूटा है। शोभायात्रा निकालने के बाद हिंदुओं पर ही पुलिस ने एफआईआर लिख दी। जबकि पूरे प्रकरण की पहले जांच की जानी चाहिए थी। 

बीजेपी कार्यकर्ता धरना 22

ये सब भाजपा की सरकार में हुआ, ये दुर्भाग्यपूर्ण है। ये बिल्कुल भी ठीक नहीं है। रामजी ने कहा कि हमने 1992 को दौर भी देखा है। इस दिन का इंतजार करेंगे कि जब हमारी सरकार आएगी हम हर्ष के साथ उत्सव मनाएंगे। लेकिन कानपुर का दुर्भाग्य देखिये कि पूरे यूपी में  रामनवमी की यात्राएं निकली। कानपुर में रामलला में निकली शोभायात्रा में विघ्न डालने और रोकने का काम किया है।

इस दौरान उन्होंने भाजपा जिलाध्यक्ष शिवराम सिंह को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष को संबोधित ज्ञापन सौंपा। इस दौरान प्रदर्शन में अंतर्राष्ट्रीय हिंदू परिषद के प्रान्त अध्यक्ष अतुल द्विवेदी, राष्ट्रीय बजरंगदल के नगर उपाध्यक्ष शनि निषाद, सुधांशु मिश्रा बजरंगी, हिमांशु बजरंगी, अरुणेश्वराश्रम जी, पंकज वर्मा, अरविंद चौहान, शिवम चतुर्वेदी, शुभम दुबे, डॉ. आशीष, सोनू आदि रहे।

उत्सव यात्रा थी और उसमें बाजे बजेंगे ही 

रामनवमी में हर बार लाउडस्पीकर लगते हैं, लेकिन एक दिन पहले ही हटा दिए गए। कानपुर में सांसद से लेकर मेयर, विधायक, पार्षद सभी हैं, लेकिन किसी ने भी मुकदमों के खिलाफ आवाज नहीं उठाई। उन पर मुकदमें हुए ही क्यों? क्या यहां का नेतृत्व लचर था। देश प्रदेश में योगी जी की सरकार है। शव यात्रा नहीं है, उत्सव यात्रा थी और उत्सव यात्रा में बाजे तो बजेंगे ही। पुलिस ने उसी पर प्रतिबंध लगा दिया।

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