कासगंज: पशुपालक रहें सावधान ! गर्मी बिगाड़ सकती है पशुओं की सेहत...जानिए बचाव

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Published By Monis Khan
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मोहनपुरा, अमृत विचार। इस वर्ष अप्रैल माह में ही तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार आगामी दिनों में गर्मी के साथ लू एवं हीट वेब की भी प्रबल संभावना है। ऐसे में मानव के साथ-साथ पालतू पशुओं की भी देखभाल करना अत्यंत आवश्यक है। अन्यथा जरा सी असावधानी से पशुपालकों को दुधारू एवं अन्य पशुओं में कुप्रभाव देखना पड़ सकता है। वयस्क पशु के अलावा नवजात पशुओं के विशेष ख्याल की आवश्यकता होती है।

जनपद के मोहनपुरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ बृज विकास  सिंह ने पशुओं को गर्मी के दुष्प्रभाव से बचाने के उपाय सुझाए हैं। जिनको अपनाकर पशुपालक अपने पशुओं को गर्मी एवं लू के कारण होने वाले कुप्रभाव से बचा सकते हैं। डॉ. बृज विकास सिंह ने बताया कि अधिक गर्मी के कारण पैदा हुए ऑक्सीकरण तनाव की वजह से पशुओं को बीमारियों से लड़ने की अंदरूनी क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। जिससे वे तरह-तरह की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। अत्यधिक गर्मी में जब लू के थपेड़े चलने लगते हैं तब ऐसे में पशु दबाब की स्थिति में आ जाते हैं। गर्म हवा एवं उच्च तापमान के कारण उनके शरीर में पानी की कमी होने लगती है। ऐसे में जरा सी असावधानी उनकी शारीरिक वृद्धि, स्वास्थ्य, प्रजनन एवं रोग प्रतिरोधी क्षमता और उत्पादन क्षमता पर कुप्रभाव पड़ सकता है। पशु के चारा खाने की मात्रा में 10 से 30 प्रतिशत और दुग्ध उत्पादन में 10 से 25 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।

आहार, जल एवं आवास का करें उचित प्रबंध
गर्मी के कारण पशुओं को  प्यास अधिक लगती है। इसलिए उन्हें कम से कम तीन से चार बार ताजा पानी पिलाना चाहिए जिससे शरीर का तापमान नियंत्रित हो सके। समय समय पर पानी में थोड़ा नमक एवं आटा मिलाकर भी पिला सकते हैं। दुधारू पशुओं से दुग्ध निकालने के बाद ताजा पानी पिलाना चाहिए। पशुओं को नदी, नाले, तालाब आदि का गंदा जल नहीं पिलाना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्रतिदिन स्वच्छ जल से पशुओं को स्नान एवं खुरैरा भी करने की सलाह दी जाती है।

पशुओं को आहार में हरा चारा अवश्य देना चाहिए। प्रायः गर्मी के मौसम में हरे चारे की कमी हो जाती है। यदि संभव हो तो सुबह 10 बजे से पूर्व एवं शाम को 4 बजे के बाद चराना चाहिए। दुधारू पशुओं को ज्वार, मूंग, मक्का आदि का हरा चारा अवश्य देना चाहिए। इसके अतिरिक्त संतुलित आहार में दाना, चुनी, चोकर, खली तथा कैल्शियम और प्रोटीन से निर्मित खनिज मिश्रण अवश्य दें। हरा चारा उपलब्ध न होने की स्थित में ही दिया जा सकता है।

वहीं पशुओं के आवास का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। यदि पशु बाड़े की छत पक्की है तो छत पर घास फूस रख दें जिससे छत अधिक गर्म नहीं होगी। आवास के अभाव में पशुओं को हमेशा छायादार वृक्षों के नीचे बांधे। पशु आवास के द्वार पर लकड़ी या जूट के बोरे एवं रोशनदान पर जूट के बोरे को बांधकर दिन में गीला कर दें जिससे गर्म हवा या लू का सीधा प्रभाव नहीं होगा और आवास में ठंडक बनी रहेगी। पशुओं को अत्यंत नजदीक झुंड में न बांधे और रात्रि के समय खुले स्थान पर बांधे। पशु आवास के आसपास पेड़ पौधों की मौजूदगी से वहां का तापमान नियंत्रित रहेगा।अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र मोहनपुरा, कासगंज में किसी भी कार्य दिवस में संपर्क किया जा सकता है।

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