पीलीभीत: दुधारू पशुओं में बढ़ रहा बांझपन, दूध उत्पादन पर पड़ा असर
पीलीभीत, अमृत विचार: इन दिनों डेयरी संचालक परेशान हैं। भैंसों में करीब एक साल से बांझपन की बीमारी एक गंभीर समस्या बन गई है। इसके चलते दूध उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ रहा है। वहीं दूध की धार पतली होने लगी है। कई तो इसी के चलते दूध की खपत को देखते हुए पानी की मिलावट कर रहे हैं।
ताकि बंधे-बंधाए ग्राहक न टूट जाएं। उधर, दाम में भी बढ़ोतरी कर दी गई है, जिससे ग्राहकों का बजट भी बिगड़ने लगा है। हालांकि पशुपालन विभाग के अधिकारियों की मानें तो इसके पीछे काफी हद तक खुद डेयरी संचालक भी जिम्मेदार हैं, जोकि दुधारू पशुओं को उचित खानपान नहीं दे पा रहे हैं।
शहर के अधिकांश मोहल्लों में आबादी के बीच डेयरियों का संचालन हो रहा है। करीब 150 से अधिक डेयरियां पंजीकृत हैं। वहीं, जिले में 87573 दुधारु पशु हैं। इसमें 49573 भैंस और 38 हजार के आसपास गाय हैं। बीते कुछ समय में दूध के दाम में तेजी से महंगाई देखने को मिली है। विभिन्न डेयरियों में प्रति लीटर दूध के दाम 60 रुपये लेकर 80 रुपये तक पहुंच चुके हैं, उसमें भी शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है।
इसे लेकर पशुओं के चारे-भूसे में महंगाई की बात कही जाती रही है। हालांकि अब करीब एक साल से अधिक समय में दुधारु पशुओं में बांझपन की दिक्कत बढ़ने से भी दूध की धार पतली हो रही है और दाम भी बढ़ते जा रहे हैं।
डेयरी संचालकों की मानें तो पंजाब, हरियाणा की भैंस कारोबार के लिए बेहतर मानी जाती हैं, लेकिन उनके दाम अधिक होते हैं। इसलिए बरेली समेत आसपास के इलाकों से ही दुधारू पशुओं की खरीद डेयरी संचालक करने लगे हैं। एक भैंस की कीमत करीब एक लाख के आसपास रहती है।
जोकि दस से बारह लीटर दूध देती है। दूध में पानी मिलावट कर मुनाफा कमाने का खेल काफी पुराना है। मगर अब पशुओं के बीमार होने के चलते इसमें और तेजी आई है। बताते हैं कि दुधारू पशुओं में बांझपन की बीमारी बढ़ने लगी है। औसतन 20 से 30 प्रतिशत पशुओं में इसका असर कम समय में ही देखने को मिल रहा है।
गाभिन न होने पर भैंस धीरे-धीरे दूध देना कम कर दे रही हैं। आलम ये है कि एक, दो से लेकर चार लीटर तक दूध साल भर में ही कम हो जा रहा है। फिर कुछ समय बाद ही दूध देना बंद कर देती हैं। इसका कोई इलाज भी नहीं हो पा रहा। चूंकि ग्राहक और दूध की खपत उतनी ही है। मगर, जब पशु कम दूध देने लगता है तो मिलावट कर खपत को पूरा किया जा रहा है या फिर खानपान का खर्च बढ़ने पर दूध के दाम में बढ़ोतरी कर दी जाती है।
पशुओं की देखभाल और पोषण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
भैंसों में बांझपन की बढ़ती दर के कई कारण जिम्मेदार मान रहे हैं। मगर, प्रमुख कारण अनुचित पोषण और देखभाल, बीमारियों का प्रकोप और अनुचित प्रजनन प्रबंधन को बताया जा रहा है। मानना है कि दुधारू पशुओं को बेहतर खानपान नहीं मिल पाता। भूसा, चारा या फिर चोकर तक सीमित रहता है। उन्हें कैल्शियम, फाइबर समेत भरपूर मात्रा में नहीं मिल पा रहा है।
वहीं, इससे भी पूरी तरह से इन्कार नहीं किया जा रहा है कि चारे आदि में जो शुद्धता पहले के समय में होती थी, वह अब नहीं बची है। फर्टिलाइजर के बढ़ते इस्तेमाल ने इस पर भी असर डाला है। फिलहाल समस्या का समाधान करने के लिए पशुओं की देखभाल और पोषण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
दुधारू पशुओं में बांझपन की दिक्कत के पीछे हार्मोनल समेत कई कारण होते हैं। दुधारू पशुओं को बेहतर खानपान नहीं मिल पाता है, जिससे उन्हें आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। भूसा, चारा और चोकर में शुद्धता की कमी और फर्टिलाइजर के बढ़ते इस्तेमाल ने भी इस समस्या को बढ़ावा दिया है। इसके समाधान करने के लिए पशुओं की देखभाल और पोषण पर विशेष ध्यान दें। इसका कोई टीकाकरण नहीं होता है- डा.बृजेश कुमार गौतम, प्रभारी सीवीओ
ये भी पढ़ें- पीलीभीत: धूल के गुबार से परेशान शहरवासी, निर्माण कार्यों के कारण बढ़ी मुसीबत
