पीलीभीत: पकवानों में मिलावट सेहत के लिए हानिकारक, FSDA की सैंपलिंग जारी

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Published By Preeti Kohli
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पीलीभीत, अमृत विचार। होली नजदीक आ रही है। मुनाफा कमाने के चक्कर में मिलावटखोर सक्रिय हो चुके हैं। बाजारों में सेहत से खिलवाड़ करने वाले मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री से भी इन्कार नहीं किया जा सकता, जिनका सेवन सेहत पर भारी भी पड़ सकता है।

कहने को तो सतर्कता के दावों के बीच विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है, लेकिन एफएसडीए (फूड सेफ्टी एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) टीम की कार्रवाई आंकड़ों में सिमटती नजर आ रही है।

होली पर मुख्य पकवान की बात करें तो मावा से बनी गुझिया प्रमुख होती है। पहले घरों में महिलाएं खुद गुझिया तैयार कराती थीं, लेकिन अब रेडीमेड गुझिया बाजार में आ चुकी है। कुछ लोग बाजार से ही गुझिया की खरीदारी करते हैं। होली के सात दिन बाकी हैं। मावा की बिक्री तेजी पकड़ चुकी है।

मुनाफा कमाने की चाह में बीते सालों की तरह मिलावटी मावा भी बाजार में खपाने की तैयारी धंधेबाजों ने कर ली है। शहर के अलावा बीसलपुर क्षेत्र में मावा की बड़ी मंडी है। ये काफी नामचीन मंडी है। यहां से जनपद ही नहीं, शाहजहांपुर, बरेली, लखीमपुर समेत आसपास के अन्य जिलों में भी मावा की सप्लाई होती है।

 गुणवत्ता की गारंटी मौखिक रूप से तो हर कोई दुकानदार दे रहा है, लेकिन मिलावटी होने का प्रमाण बीते सालों में लिए जा चुके नमूनों की रिपोर्ट भी बयां कर चुकी है। एफएसडीए के जिम्मेदारों की मानें तो मिलावटी मावा बनाने में सिंथेटिक दूध,सिंघाड़े का आटा, आलू, वेजिटेबल घी और मैदा का भी इस्तेमाल किया जाता है।

इसी तरह से होली पर कचरी पापड़ की डिमांड बढ़ती है। देखने में कचरी पापड़ अच्छा लगे, इसलिए रंग की मिलावट की जाती है। जोकि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होते हैं।

करीब चार साल पहले होली पर बड़ी मात्रा में कचरी फैक्ट्री पकड़ी भी गई थी। इस बार भी होली पर मिलावटखोरों पर शिकंजा कसने के लिए तीन मार्च से अभियान की शुरुआत कर दी गई है। अभी तक टीम ने 30 सैंपल लिए हैं। खास बात है कि सैंपलिंग में जिला व तहसील मुख्यालय के धंधेबाजों को मूक सहमति दे दी गई है।

ग्रामीण अंचलों के छोटे धंधेबाजों तक टीम पहुंच रही है। मावा 280 रुपये किलो के हिसाब से बिक रहा है। जनपद भर से 100 क्विंटल से अधिक मावा की खपत का अनुमान है। दाम अभी और बढ़ने के आसार हैं, लेकिन शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है। ऐसे में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता खुद ही परखें और फिर सेवन करें।

नमकीन का नमूना भी तब लिया जब डीएम ने दौड़ाया
होली पर नमकीन की खपत भी बड़े पैमाने पर होती है। मगर, चार दिन से चलाए जा रहे अभियान में एफएसडीए टीम नमकीन का महज एक नमूना ले सकी है। खास बात ये है कि ये नमूना भी तब लिया गया जब बल्लभनगर कॉलोनी के रहने वाले शशांक मिश्रा ने डीएम के समक्ष पेश होकर शिकायत की। उसके बाद टीम ने शहर के एक नमकीन प्रतिष्ठान पर जाकर नमूना लिया।

 इसके अलावा नमकीन का दूसरा नमूना नहीं लिया गया है। इसके अलावा रंग बिरंगी कचरी पापड़ की बिक्री अधिक होती है। इसमें हानिकारक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। मगर इसका भी टीम की सिर्फ एक नमूना ले सकी है। वह भी शहर या अन्य तहसील मुख्यालयों से नहीं है। बरखेड़ा के एक प्रतिष्ठान से नमूना लेकर औपचारिकता निभाई गई है।

चार दिन में लिए जा चुके हैं 30 सैंपल
अभियान के पहले दिन एफएसडीए टीम ने नमकीन, किशमिश, बेसन, मावा, मिठाई, पेड़ा, दूध की लौज के आठ नमूने लिए। चार मार्च को पनीर, बर्फी के दो, ड्रिंकिंग वाटर, घी, छेना रसगुल्ला समेत छह सैंपल लिए हैं। पांच मार्च को नौ सैंपल लिए गए।

जिसमें मावा व दूध के दो-दो, पनीर, छेना रसगुल्ला, बेसन, छेना मिठाई, गुलाब जामुन के थे। छह मार्च को लिए गए सात सैंपल में बेसन के दो, बरखेड़ा से रंगीन कचरी , पापड़, हल्दी पाउडर, छेना रसगुल्ला का सैंपल लिया गया।

होली पर मिलावटखोरी पर शिकंजा कसने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। तीन मार्च से अभियान शुरू हो चुका है और टीमें लगातार सैंपलिंग कर रही हैं। सैंपल की जांच रिपोर्ट आने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाती है- रामऔतार सिंह, अभिहीत अधिकारी एफएसडीए

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