Kanpur: दुल्हन को मायके में दामाद को ससुराल में मनानी चाहिए पहली होली, ऐसा क्यों? यहां जानिए

कानपुर, अमृत विचार। पौराणिक कथा के अनुसार, होलिका एक दिव्य वस्त्र को ओढ़कर प्रह्लाद को जलाने के लिए आग में बैठी थी, लेकिन जब प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के नाम का जाप किया तो, होलिका का अग्निरोधक वस्त्र प्रह्लाद के ऊपर आ गया और वह बच गए, जबकि होलिका भस्म हो गई। जिस दिन होलिका आग में बैठी उसके अगले दिन उसका विवाह होना था।
उनके होने वाली पति का नाम इलोजी था। इलोजी की मां जब बेटे की बारात लेकर होलिका के घर पहुंची तो उन्हें उसकी चिता जलती दिखी। बेटे का बसने वाला संसार उजड़ता देख बेसुध हो गईं और प्राण त्याग दिए। बस तभी से प्रथा चला आ रही है कि नई बहू को ससुराल में पहली होली नहीं देखनी चाहिए।
दामाद को भी ससुराल में मनाना चाहिए
ज्योतिष सेवा संस्थान के अध्यक्ष व संस्थापक पवन तिवारी ने बताया कि दामाद को भी अपनी पहली होली मायके में नहीं मनाना चाहिए। इससे उनके रिश्ते बेहतर होते हैं और मनमुटाव भी कम होता है।पहली होली दुल्हन मायके में मनाए तो वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं। इसलिए ज्यादातर जगह पर बेटी के साथ ही दामाद भी पहली होली पर आते हैं।
होली और होलिका दहन के वक्त सास-बहू का साथ में रहना ठीक नहीं माना जाता नई दुल्हन के लिए कहा जाता है कि उसे अपनी पहली होली ससुराल के जगह मायके में मनाना चाहिए। सास -बहू अगर साथ में होलिका दहन देखती हैं तो घर में कलह की शुरुआत हो जाती है। सास-ससुर के साथ रिश्ते खराब होने लगते हैं, बिना बात के झगड़े भी होने लगते हैं। सास-बहू के रिश्तों में यदि तकरार हो तो उससे आने वाले समय में तनाव बढ़ जाता है।
वहीं एक और धारणा है जो कहीं न कहीं सटीक है कि शादी के तुरंत बाद दुल्हन ससुराल में कंफर्टेबल महसूस नहीं करती है, इसलिए मायके में होली मनाने का चलन है जिसे प्रथा का नाम दे दिया गया है।
जो महिला गर्भवती होती हैं उन्हें भी ससुराल में होली नहीं मनानी चाहिए। अगर प्रेग्नेंट महिला मायके में होली मनाती है तो इससे होने वाला बच्चा बहुत सुंदर और बुद्धिमान पैदा होता है। हालांकि ऐसा सभी जगहों पर नहीं है, कुछ ही जगहों पर इस मान्यता को माना जाता है।