प्रयागराज : प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सिविल जज के लिए उचित संबोधन प्रयुक्त न करने पर जताई नाराजगी
Amrit Vichar, Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक भूमि विवाद मामले में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के प्रति अनुचित भाषा का प्रयोग करने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह न्यायिक शिष्टाचार का गंभीर उल्लंघन है।
ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासनिक अधिकारी जिला न्यायालय के न्यायाधीशों को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखते और उनके प्रति अनुचित भाषा का प्रयोग करते हैं। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकलपीठ ने गिरीश चंद की याचिका पर सुनवाई करते हुए की, जिसमें गाजीपुर जिले के प्लॉट नंबर 709 और 711 से संबंधित विवाद का जिक्र किया गय है। मामले के अनुसार कोर्ट द्वार सिविल जज को आयुक्त नियुक्त किया गया था, जिस कारण गाजीपुर के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, बंदोबस्त अधिकारी और रामपुर मांझा थाना प्रभारी ने एक संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें भूमि के उपयोग और निर्माण से संबंधित विवरण दिया गया था। कोर्ट ने अधिकारियों द्वारा सिविल जज के प्रति प्रयोग की गई भाषा को अनुचित ठहराते हुए कहा कि 'सुश्री' जैसे सम्मानसूचक शब्दों का प्रयोग न करना न्यायपालिका के प्रति असम्मान दर्शाता है।
मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने गाजीपुर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करें। इसके अलावा प्लॉट नंबर 711 पर पुलिस स्टेशन निर्माण के अनुमति दी, क्योंकि यह याची की संपत्ति नहीं है जबकि प्लॉट नंबर 709 पर सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई और अगर कोई निर्माण सामग्री उक्त प्लॉट पर रखी गई है तो उसे हटाने के निर्देश भी दिए। मामले की अगली सुनवाई आगामी 11 मार्च 2025 को निर्धारित की गई है।
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