बरेली: सितारगंज फोरलेन प्रोजेक्ट की रफ्तार सुस्त, भूमि अधिग्रहण और मिट्टी की कमी बनी समस्या

Amrit Vichar Network
Published By Vikas Babu
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बरेली, अमृत विचार। पहले भूमि अधिग्रहण घोटाले और अब मिट्टी न मिलने से सितारगंज फोरलेन हाईवे प्रोजेक्ट की रफ्तार सुस्त हो गई है। सोमवार को एनएचएआई के मेंबर एडमिन विशाल चौहान की ओर से की गई समीक्षा बैठक में यह बात रखी गई। चौहान ने प्रोजेक्ट मैनेजर को निर्देश दिया कि वह अपने स्तर पर मिट्टी का इंतजाम कर निर्माण कार्य तेजी से कराएं ताकि तय समय में उसे पूरा किया जा सके।

समीक्षा बैठक में मिट्टी की कमी के साथ जमीन अधिग्रहण पूरा न होने को भी निर्माण धीमा होने की वजह बताया गया। मेंबर एडमिन बैठक के बाद बड़ा बाईपास से नवाबगंज तक निर्माण कार्य जायजा लेने भी निकले। जगह-जगह अपनी गाड़ी रुकवाकर निर्माणाधीन कार्य की जांच की। निरीक्षण के दौरान एनएचएआई के सीजीएम नवीन कुमार और आरओ संजीव कुमार शर्मा समेत कई अफसर मौजूद रहे।

अधिकारियों के मुताबिक भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के दौरान संरचनाओं के ज्यादा मूल्यांकन के मामले से प्रोजेक्ट में काफी देरी हो चुकी है। शासन ने एनएचएआई के तत्कालीन पीडी और आरओ निलंबित करने के साथ कंसल्टेट को भी डिबार कर दिया है। अब पूरी ताकत तो झोंकी जा रही है लेकिन काम में दिक्कतें भी बनी हुई हैं।

पीडी प्रशांत दुबे ने बताया कि पैकेज वन में बरेली से पीलीभीत तक 32.5 किमी और पैकेज टू में पीलीभीत से सितारगंज तक 38.3 किमी में काम कराया जाना है। काम पूरा करने की समय सीमा 13 मार्च 2026 है। अभी सिर्फ 15 फीसदी काम हुआ है। काम की सुस्त रफ्तार पर सदस्य ने निर्माण तय समय में पूरा करने के निर्देश दिए।

रिंग रोड: 377 करोड़ स्वीकृत, मुआवजा 16 करोड़ भी नहीं बंटा
बरेली, अमृत विचार: एनएचएआई को 29.95 किमी लंबे फोर लेन रिंग रोड और सिक्स लेन पुल और अंडरपास के लिए 32 गांवों की जमीन का अधिग्रहण करना है। 28 जनवरी 2022 को शुरू हुई भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को तीन साल पूरे हो चुके हैं। अब तक 24 गांवों के अधिग्रहण अवार्ड किए जा चुके हैं। सात गांव अवार्ड की प्रक्रिया में हैं।

एक गांव रहपुरा जागीर चकबंदी में फंसा है। इनमें सिर्फ दो गांवों सरनिया और इटौआ सुखदेवपुर के भूमि मालिकों को ही मुआवजा मिल पाया है। शेष गांवों के लोग मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं। 25 फरवरी तक 16 करोड़ भी वितरित नहीं हो सके हैं जबकि कुल 863 करोड़ का मुआवजा बांटा जाना है जिसमें से 377 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी हो चुकी है। कहा जा रहा है कि ऐसी ही सुस्ती बनी रही तो मुआवजा बांटने में ही पांच साल लग जाएंगे।

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