पीलीभीत: बनवाते थे फर्जी मार्कशीट, फिर करते थे विदेश भेजने के नाम पर ठगी, अब सात जालसाज गिरफ्तार
पीलीभीत, अमृत विचार। युवाओं को विदेश भेजने के नाम पर लाखों की ठगी करने वाले गिरोह को पुलिस ने धर दबोचा। पूरनपुर और माधोटांडा क्षेत्र के युवाओं को झांसे में लेकर मोटी रकम ऐंठने वाले सात जालसाजों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उनके पास से सात फोन, 03 लैपटॉप, एक कार, 60 से अधिक फर्जी शैक्षणिक प्रमाण पत्र की प्रतियां व नकदी बरामद की गई। एएसपी विक्रम दहिया ने पुलिस लाइन सभागार में प्रेसवार्ता कर जानकारी दी। फिलहाल सभी आरोपियों को जेल भेज फरार दो अभियुक्तों की धरपकड़ को टीम लगाई है।
दरअसल पिछले कुछ दिनों से पुलिस के पास विदेश भेजने के नाम पर लाखों की ठगी की शिकायतें बढ़ गईं थी। माधोटांडा और पूरनपुर कोतवाली में इसके संबंध में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। माधोटांडा थाने में ग्राम वीरखेड़ा निवासी गुरप्रीत सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें चार जालसाजों को नामजद किया था। पीड़ित के अनुसार उसके छोटे भाई पवनदीप सिंह को विदेश भेजने के नाम पर बीस लाख रुपये खर्च बताया। दो तीन दिन के बाद पवनदीप सिंह की आईडी, पासपोर्ट व अन्य कागजात पांच लाख रुपये नकद बतौर एडवांस लिए। कक्षा नौ पास उसके भाई की फर्जी ग्रेजुएशन की मार्कशीट बनाकर दे दी। फिर जब इन्कार किया तो जालसाज 14 फरवरी को पीड़ित के घर आए और तमंचे के बल पर धमकाते हुए आठ लाख रुपये और ले लिए। इसके अलावा पूरनपुर में भी जालसाजों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। एएसपी की अगुवाई में टीमें छानबीन में जुटी रही और ठगों के बड़े गिरोह तक पहुंच गई।
इन आरोपियों को किया गया गिरफ्तार
पुलिस ने दोनों थानों से संबंधित सात आरोपी शाहजहांपुर जनपद के थाना पुवायां क्षेत्र के ग्राम बहटा सनवाद निवासी नरेंद्र पांडेय, ग्राम पकड़िया मल्लपुर निवासी सिमरनजीत सिंह, घुंघचिहाई क्षेत्र के ग्राम डूडा निवासी मलकीत सिंह, कुलवंत सिंह, हरसिमरन सिंह, माधोटांडा क्षेत्र के ग्राम गुलड़िया बलकरनपुर निवासी मलकीत सिंह और घुंघचिहाई थाना क्षेत्र के ग्राम चंदुईया घाटमपुर निवासी रविंद्र सिंह को गिरफ्तार कर लिया। प्रेसवार्ता कर खुलासा करने के बाद आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया है।
मार्कशीट से लेकर इंटरव्यू तक फर्जीवाड़ा
पकड़े गए अभियुक्तों ने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह करीब पांच साल से इस धंधे से जुड़े हैं। छात्रों को विदेश भेजने के नाम पर लाखों रुपये ऐंठते थे। हिंदी मीडियम या कम पढ़े लिखे छात्रों की इंग्लिश मीडियम की फर्जी मार्कशीट व अन्य दस्तावेज भी उपलब्ध करा दिया करते थे। ताकि वीजा अप्रूवल आसानी हो सके। इतना ही नहीं ऑनलाइन इंटरव्यू पास कराने के लिए उसी की तरह दिखने वाले दूसरे व्यक्ति को बिठाने की भी व्यवस्था कर देते थे। ये गिरोह आईलेट्स और इमीग्रेशन सेंटरों से जुड़ा था। गिरोह ने एक ऐसे व्यक्ति की भी व्यवस्था कर रखी थी जो बिना वास्तविक धनराशि के नकली फिक्स डिपॉजिट तैयार कर देता था। जिसे छात्रों की फाइलों में लगाया जाता था। आरोपियों से बरामद शैक्षणिक प्रमाण पत्रों को भी पुलिस ने संबंधित स्कूल कॉलेज से चेक कराया है। जिसमें कई फर्जी साबित हुई और बकाया की जांच चल रही है।
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