ग्रेजुएशन के बाद नीरज-संतोष बने साइबर क्रिमिनल

Amrit Vichar Network
Published By Pawan Singh Kunwar
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रुद्रपुर, अमृत विचार: जहां एक ओर युवा वर्ग बेहतर एवं उच्च शिक्षा प्राप्त कर अच्छी नौकरी की तलाश करते हैं। वहीं जयपुर राजस्थान से गिरफ्तार 90 लाख की साइबर ठगी के दोनों आरोपी ग्रेजुएशन करने के बाद साइबर क्रिमिनल बन गए। पूछताछ में पता चला कि ग्रेजुएट होने के बाद वह कम समय में अधिक धनवान बनना चाहते थे और दोनों ने मिलकर साइबर अपराध का रास्ता अख्तियार किया।


कुमाऊं साइबर क्राइम थाना सेल प्रभारी अरुण कुमार ने बताया कि नैनीताल का 90 लाख की साइबर ठगी की तफ्तीश आने के बाद जब बुधवार को जयपुर राजस्थान से संतोष कुमार मीणा और नीरज कुमार मीणा को गिरफ्तार किया तो देखकर हैरानी हुई कि कम आयु में दोनों युवक साइबर अपराधी कैसे बन गये। जब पूछताछ की तो मालूम हुआ कि संतोष कुमार मीणा ने ग्रेजुएशन करने के बाद बी फार्मा का कोर्स पूर्ण किया।
वहीं नीरज कुमार मीणा ने आईटीआई का कोर्स किया, लेकिन कम समय में अधिक पैसा कमाने की चाह ने दोनों दोस्तों को साइबर क्रिमिनल बना दिया।

पूछताछ में यह भी पता चला कि संतोष व नीरज विदेश जाकर मौज मस्ती करना चाहते थे। यहीं कारण है कि दोनों ने एम स्टॉक नाम की फर्जी वेबसाइट बनाई और विदेशी कंपनी का प्रतिनिधि बनकर कई साइबर ठगी की घटनाओं को अंजाम दिया।

5 माह में 75 लाख का लेनदेन, 6 हुए मुकदमे
एसटीएफ की साइबर सेल द्वारा संतोष मीणा एवं नीरज मीणा की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि दोनों ही पढ़े-लिखे युवकों द्वारा साइबर ठगी का यह कोई पहला अपराध नहीं, बल्कि पांच माह में वह 75 लाख से अधिक की धनराशि का आदान-प्रदान अपने खाते से कर चुके हैं। इसके अलावा इन्हीं पांच माह में उनके खिलाफ महाराष्ट्र के ठाणे में एक, गुजरात के खेडाबासो में एक, महाराष्ट्र के मुंबई सिटी में दो, उड़ीसा के भुवनेश्वर में एक और पश्चिम बंगाल के रंगा हर में एक साइबर ठगी का मुकदमा दर्ज है।

साइबर अपराधी ऐसे फंसाते हैं लोगों को अपने जाल में
साइबर क्रिमिनल फेसबुक, इंस्टाग्राम सहित सोशल मीडिया में ऑनलाइन ट्रेडिंग का विज्ञापन प्रकाशित करते हैं और जैसे ही कोई व्यक्ति लिंक में क्लिक करता है। तब फ्यूचर मैनेजमेंट ग्रुप एम स्टॉक कुर्ती 175 में जुड़ जाता है। जिसमें कम समय में अधिक मुनाफे का झांसा दिया जाता है। जब कोई शिकार कम निवेश करता है तो उसे तत्काल दोगुना मुनाफा भी दिया जाता है और धीरे-धीरे साइबर ठग उसे अपने जाल में फंसा लेते हैं और मोटी रकम खाते में आने के बाद उस धनराशि को कई खातों में डाल देते हैं और लिंक व मोबाइल नंबर बंद देते हैं।