भिक्षावृत्ति छोड़ने को नहीं तैयार हैं परिवार, कहा- कम मिल रही मजदूरी
400-450 रुपये रोजाना मनरेगा में देने की मांग
लखनऊ, अमृत विचार: जिले में संयुक्त अभियान के तहत चिह्नित किए गए भिक्षावृत्ति में शामिल परिवार समाज की मुख्यधारा से जुड़ने को तैयार नहीं हैं। उनको भिक्षावृत्ति के आगे मनरेगा की मजदूरी कम लग रही है, इस कार्य में समय भी ज्यादा है। मनरेगा में कार्य करने के लिए परिवार के लोग 400-500 रुपये तक रोजाना मांग रहे हैं।
शहर में भिक्षावृत्ति रोकने के लिए जिला प्रशासन के साथ नगर निगम, बेसिक शिक्षा समेत कई विभाग व एनजीओ ने अभियान चला रखा है। टीम ऐसे परिवारों को चिह्नित करके उन्हें योजनाओं से लाभान्वित करके रोजगार से जोड़ रही है। इस क्रम में टीम ने मोहनलालगंज ब्लॉक अंतर्गत भिक्षावृत्ति से जुड़े बेड़िया समुदाय के ग्राम भजाखेड़ा में 53, टिकरिया खेड़ा में 37, अमावा में आठ व गुलरिया में 27 परिवार चिह्नित करके जॉबकार्ड बनाकर उपलब्ध कराए। इनमें भजाखेड़ा में 12 से 14 परिवारों ने ही काम किया, जबकि अन्य परिवार काम करने नहीं पहुंचे।
टीम जब इनके घरों पर बुलाने पहुंची तो ज्यादातर परिवारों ने मनरेगा में मिलने वाली 237 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी कम बताई। कहा, इस कार्य में आमदनी नहीं है। सुबह 10 से शाम 5 बजे तक का समय भी ज्यादा है। 400 से 450 रुपये तक रोजाना मिले तो कार्य करेंगे। इससे ज्यादा तो सड़कों पर घूम कर कमा लेते हैं। काफी समझाने के बाद भी लोग तैयार नहीं हुए। इसके अलावा विभागों ने राशन कार्ड, आधार कार्ड, वृद्धा, दिव्यांग व निराश्रित पेंशन, ई-श्रम कार्ड आदि बनवाकर आच्छादित किया है। बच्चों को भी चिह्नित करके विद्यालय भेजने की व्यवस्था की है।
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