पिता के साथ व्यवसाय कर रहे पुत्र को भी स्वतंत्र व्यवसाय का अधिकार: हाईकोर्ट

पिता के साथ व्यवसाय कर रहे पुत्र को भी स्वतंत्र व्यवसाय का अधिकार: हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अचल संपत्ति से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि एक बेटे को अपने पिता से अलग स्वतंत्र रूप से व्यवसाय करने का पूरा अधिकार है और पिता द्वारा अपने पुत्र को बसाने के लिए संबंधित दुकान से किराएदार को बेदखल करना उचित है। 

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि अगर पुत्र अपने पिता के साथ व्यवसाय करता है, तो भी वह अपने लिए अलग व्यवसाय की व्यवस्था करने के लिए स्वतंत्र है। इसके लिए पिता द्वारा किए गए प्रयास वास्तविक और उचित माने जाएंगे। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार की एकलपीठ ने हरिशंकर की याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। 

याची ने यूपी शहरी भवन (किराए पर देने, किराया और बेदखली का विनियमन) अधिनियम, 1972 की धारा 21 (1)ए के तहत मकान मालिक के पक्ष में दुकान परिसर को मुक्त करने के लिए संबंधित प्राधिकारी द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी।

याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मकान मालिक के कब्जे में तीन दुकानें थीं, जिनमें से दो में व्यवसाय चल रहा था। भले ही बेटा पिता के अधीन व्यवसाय कर रहा था, लेकिन एक दूकान बेटे को देने के उद्देश्य से किराएदार को बेदखल किया जा रहा था। 

इस पहलू पर अधीनस्थ अधिकारियों ने विचार नहीं किया। अतः यह कहा जा सकता है कि मकान मालिक की कोई वास्तविक आवश्यकता नहीं थी। अंत में कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए पाया कि अधीनस्थ प्राधिकारियों द्वारा याची के मामले को खारिज करने में कोई त्रुटि नहीं की गई है, इसलिए वर्तमान याचिका खारिज कर दी गई।