Prayagraj : काउंसिल के अध्यक्ष के पास पदाधिकारियों के चुनाव के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं

Prayagraj : काउंसिल के अध्यक्ष के पास पदाधिकारियों के चुनाव के लिए निर्देश जारी करने का अधिकार नहीं

अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष द्वारा पारित एकीकृत बार एसोसिएशन, माती कानपुर देहात के चुनावों की देखरेख के लिए नई एल्डर्स कमेटी के गठन के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा कि काउंसिल के अध्यक्ष का आदेश, बार एसोसिएशन चुनावों के संबंध में वैधानिक निकाय की शक्तियों से संबंधित हाईकोर्ट के पूर्वादेशों के विपरीत है।

कोर्ट ने माना कि अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 15 के साथ धारा 15 (2) के तहत बनाए गए बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश चुनाव नियम, 1992 सहित अन्य प्रावधानों के अनुसार बार काउंसिल के अध्यक्ष के पास एल्डर्स कमेटी के गठन के मुद्दे पर फैसला करने या बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के चुनाव कराने के लिए निर्देश जारी करने की कोई शक्ति या अधिकार नहीं है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की एकलपीठ ने एकीकृत बार एसोसिएशन, माती कानपुर देहात की एल्डर्स कमेटी द्वारा दाखिल याचिका पर 29 जनवरी को पारित किया।

मालूम हो कि मौनी अमावस्या के लिए स्थानीय अवकाश घोषित किए गए दिन मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित की गई थी।बता दें कि बार निकाय के चुनाव 28 जनवरी को हुए थे।मामले के अनुसार बार काउंसिल के अध्यक्ष ने नई एल्डर्स कमेटी के गठन और बार काउंसिल के पर्यवेक्षकों की देखरेख में चुनाव कराने का आदेश दिया था, जिसे चुनौती देते हुए वर्तमान याचिका में एल्डर्स कमेटी ने आरोप लगाया कि यह निर्णय बिना किसी पूर्व सूचना या सुनवाई का अवसर दिए बिना लिया गया है।

याचियों के अधिवक्ता ने बार काउंसिल के अध्यक्ष के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए तर्क दिया कि यदि इसे बरकरार रखा गया तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी कि नई एल्डर्स कमेटी का गठन करना पड़ेगा और नए चुनाव कराने होंगे। दूसरी ओर बार काउंसिल की ओर से वीडियो कॉल के माध्यम से उपस्थित अधिवक्ता  ने तर्क दिया कि वैधानिक निकाय ने मॉडल उपनियमों और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा 15 के तहत प्रदान की गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए कार्य किया है।

अंत में कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बार एसोसिएशन के अध्यक्ष/सचिव को केवल एक निर्देश जारी किया गया था कि वे मॉडल उपनियमों के अनुसार एक नई एल्डर्स कमेटी का गठन करें और फिर चुनाव कराएं। पहले के आदेश को वापस लेने और फिर एक नई एल्डर्स कमेटी के गठन का निर्देश देने की कार्यवाही हाईकोर्ट के पहले के निर्णयों के विपरीत थी। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि जब चुनाव हो चुके हों और चुनाव से असंतुष्ट पक्षों को उचित मंच पर जाने का वैधानिक अधिकार हो, तो ऐसे में याचिका के लंबित रहने के दौरान आक्षेपित आदेश को बरकरार रखा जाता है, तो इससे और जटिलताएं पैदा होंगी तथा निर्वाचित निकाय द्वारा किए जाने वाले कार्यों में हस्तक्षेप होगा। मामले की अगली सुनवाई आगामी 24 मार्च को होगी।

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