राजस्व विभाग के पास नहीं वक्फ के नाम पर सवा लाख वक्फ संपत्तियों का रिकॉर्ड, DM ने मांगी रिपोर्ट

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Published By Muskan Dixit
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धीरेंद्र सिंह, लखनऊ, अमृत विचार। हाईकोर्ट के एक मामले में मांगी गई रिपोर्ट और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देश के बाद राजस्व और वक्फ विभाग की संयुक्त जांच में करीब सवा लाख सरकारी और निजी भू-संपत्तियों को वक्फ में दर्ज करने का मायाजाल सामने आया है। प्रदेश में शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में कुल 127837 वक्फ संपत्तियां दर्ज हैं, लेकिन इनमें से मात्र तीन हजार संपत्तियां ही राजस्व रिकॉर्ड में हैं। सवाल उठता है कि वक्फ एक्ट की धारा-37 के तहत किसी भी संपत्ति को वक्फ में दर्ज करने के अधिकार का बेजा इस्तेमाल तो नहीं हुआ। शासन ने सभी जिलाधिकारी से फसली वर्ष 1359 (सन् 1952) के रिकॉर्ड में स्थिति और मौके पर सत्यापन रिपोर्ट मांगी है।

हाईकोर्ट ने एक मामले में दिसंबर 2023 में राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि कितनी सरकारी संपत्तियां गलत ढंग से वक्फ संपत्ति के नाम पर दर्ज हैं, ये जांच करके रिपोर्ट दें। इस मामले में राजस्व विभाग व वक्फ विभाग के शीर्ष अधिकारी पहले को टाल-मटोल करते नजर आए, मगर जब मामला मुख्यमंत्री योगी के संज्ञान में आया तो गांव से लेकर तहसीलों और जिलास्तर से रिकार्ड खंगाले जाने लगे।

इन रिपोर्टों में वक्फ बोर्ड के मिले कानूनी अधिकार के बेजा इस्तेमाल की नजीर देख मुख्यमंत्री ने हाल ही में यहां तक कहा कि वक्फ बोर्ड भू माफिया की तरह काम कर रहा है। अवैध रूप से कब्जा की गई वक्फ की एक-एक इंच जमीन वापस ली जाएगी। हालांकि इस तेवर का विरोध वक्फ बोर्ड के रहनुमाओं समेत विपक्षी नेताओं ने खूब किया, लेकिन अब राजस्व विभाग का सामने आ रही रिपोर्ट सभी की आंख खोलने वाली है।

राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड में 124735 और शिया वक्फ बोर्ड में 3102 संपत्तियां दर्ज हैं। यानि कुल वक्फ भू संपत्तियां 127837 दर्ज हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ तीन हजार संपत्तियां ही राजस्व रिकॉर्ड में हैं। बाकी संपत्तियां अपने मूल नाम से चली आ रही हैं। राजस्व विभाग के सूत्रों का कहना है कि अब नए सिरे से देखना होगा कि वक्फ दिखाई गई संपत्ति की फसली वर्ष 1359 (सन् 1952) के रिकॉर्ड में क्या स्थिति है। उसके बाद ही वक्फ बोर्ड के दावे स्वीकार या अस्वीकार हो सकेंगे। राजस्व विभाग ने सभी जिलाधिकारियों से वास्तविक रिपोर्ट मांगा है, ताकि हाईकोर्ट और मुख्यमंत्री को सही तस्वीर बताई जाए, और उसी अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित हो सके। शासन ने इस संबंध में हाईकोर्ट में पूरी रिपोर्ट रखने के लिए छह माह का और समय भी मांगा है।
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मनमानी का विरोध न हो, इसलिए हुआ चुपचाप खेल

शासन के शीर्ष अधिकारी बताते हैं कि वक्फ बोर्डों ने धारा-37 के तहत तमाम सरकारी और कुछ निजी संपत्तियों को वक्फ संपत्तियां घोषित कर दीं, लेकिन नामांतरण के लिए नोटिफिकशन तहसीलों को भेजे ही नहीं गए। इसके पीछे की सच्चाई है कि मनमानी का विरोध न हो, इसलिए चुपचाप खेल हुआ। जबकि नियमानुसार नोटिफिकेशन की एक प्रति संबंधित तहसील को भेजनी होती है। ताकि, तहसील प्रशासन उस संपत्ति का वक्फ के पक्ष में नामांतरण कर सके या असहमत होने पर कारण सहित वापस कर दे। यह प्रक्रिया नोटिफिकेशन जारी होने के छह माह के भीतर पूरी करना अनिवार्य है।

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