Rampur News : मुशायरों की महफिलों पर महंगाई की मार, रामपुर के शायरों के नाम पर पाकिस्तान में है सड़क
अदबी महफिलों से तरसी गालिब और दाग की सरजमीं, रजा लाइब्रेरी की 250वीं वर्षगांठ पर हुए जश्न में हुआ था आल इंडिया मुशायरा
रामपुर, अमृत विचार। मुशायरों की महफिलों पर महंगाई का हंटर चल गया है। अदबी महफिलों से गालिब और दाग की सरजमीं तरस गई है। हालांकि, रजा लाइब्रेरी की 250वीं वर्षगांठ पर आल इंडिया मुशायरा हुआ था। रामपुर में कई अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शायर हैं। उनका कहना है कि महंगाई के कारण मुशायरों की महफिल नहीं सज रही हैं। मुशायरों की महफिल में सोशल मीडिया ने भी पलीता लगाया है।
मिर्जा असद उल्लाह खां गालिब और दाग देहलवी की सरजमीं मुशायरों और अदबी महफिलों को तरस गई है। जबकि, दिल्ली-लखनऊ के बाद रामपुर उर्दू शायरी का तीसरा स्कूल है। मिर्जा असद उल्लाह खां गालिब नवाब यूसुफ अली खां और नवाब कल्बे अली खां के उस्ताद थे। रामपुर के मोहल्ला राजद्वारा में नवाब रामपुर ने उन्हें हवेली दी थी। दाग देहलवी भी रामपुर में रहे और उन्हें अस्तबल की देखरेख दी गई थी। तभी से रामपुर में मुशायरों की परंपरा रही है।
रजा लाइब्रेरी की 250वीं वर्षगांठ पर किला मैदान में मुशायरे की महफिल सजी थी। शायर जिया इनायती बताते हैं कि वर्ष 1988 में खोरिया क्लब के तत्वावधान में मुशायरा हुआ था। जबकि, सपा सरकार में पूर्व मंत्री आजम खां ने इंडो-पाक मुशायरा कराया था। लेकिन, महंगाई की मार ने मुशायरों को हाशिये पर पहुंचा दिया है। शायर ताहिर फराज बताते हैं कि सामान्य से मुशायरा कराने के लिए कम से कम 5 लाख रुपये की दरकार है। 90 के दशक के बाद से मुशायरों की महफिल में महंगाई की आग भड़कती गई।

रामपुर के शायरों के नाम पर पाकिस्तान में है सड़क
प्रसिद्ध इतिहासकार नफीस सिद्दीकी बताते हैं कि रामपुर के उस्ताद शायरों के नाम से हिन्दुस्तान के बाहर भी यादगार के तौर पर उनके नाम के स्मारक, पार्क और सड़कें मौजूद हैं। रामपुर के मशहूर शायर उस्ताद शाद आरफी के नाम से पाकिस्तान के कराची शहर में नेशनल स्टेडियम के पास की सड़क को शाद आरफी रोड के नाम से जाना जाता है।
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