पांचवी पुण्यतिथि पर याद किए गए राम जन्मभूमि आंदोलन के संगठक
राम नगरी के साधु संतों ने अर्पित की श्रद्धांजलि अयोध्या। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को जन जन तक पहुंचाने और आंदोलन की रणनीति को पुख्ता बनाने वाले कुशल संगठनकर्ता साकेत वासी विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रद्धेय अशोक सिंघल की पांचवी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। सुप्रीम फैसले के बीच जन्म भूमि पर …
राम नगरी के साधु संतों ने अर्पित की श्रद्धांजलि
अयोध्या। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन को जन जन तक पहुंचाने और आंदोलन की रणनीति को पुख्ता बनाने वाले कुशल संगठनकर्ता साकेत वासी विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रद्धेय अशोक सिंघल की पांचवी पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। सुप्रीम फैसले के बीच जन्म भूमि पर साकार हो रहे श्री राम मंदिर निर्माण के सपने के बीच श्रद्धेय श्री सिंघल के व्यक्तित्व और कृतित्व को याद किया गया। राम नगरी के साथ संतो ने श्री सिंघल को राम जन्मभूमि आंदोलन का अजय योद्धा करार दिया।
स्व. अशोक सिंहल की पाँचवी पुण्यतिथि पर भावांजलि अर्पित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय प्रबंध समिति के वरिष्ठ सदस्य पुरुषोत्तम नारायण सिंह ने कहा कि स्वर्गीय श्री अशोक सिंहल श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के मेरुदंड थे ।राम मंदिर आंदोलन चलाने के लिए जनसमर्थन जुटाने में विश्व हिंदू परिषद के संरक्षक के रूप में श्री सिंहल की अहम भूमिका रही।वह ऐसे धर्मरक्षक थे जिन्हो ने जन जन को एक सूत्र में पिरो दिया। उन्हों ने कहा विगत पांच दशक से ऐसे संत मनीषी के साथ संगठन तंत्र तथा आंदोलन को खड़ा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज भी वह हम सभी की स्मृतियों में व्याप्त हैं।
अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष और केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल के सदस्य महंत कन्हैया दास ने कहा कि साकेतवासी अशोक जी का जन्म ही हिन्दुत्व को उच्चशिखर पर स्थापित करने और मंदिर निर्माण के लिए हुआ था।उन्होंने समाज को संगठित कर, कथित धर्मनिरपेक्ष ताकतों को हाशिये पर लाकर खड़ा कर दिया। उनकी ओज और शक्ति ने ही उनको इस आंदोलन का अजेय योद्धा बनाकर जन जन मे लोकप्रिय बना दिया। मंडलेश्वर प्रेम शंकर दास ने कहा अशोक सिंहल श्रीराम योद्धा थे। जिनकी एक वांणी और एक पुकार पर लाखो नवयुवक रक्त देने को तत्पर हो उठते थे। वर्तमान में भले ही वह जीवंत रूप में हम सबके बीच अब नही है, परंतु वह आज भी राम जन्मभूमि निर्माण के संकल्प की सिद्धि मे जीवित हैं। मन्दिर निर्माण के साथ उनका स्वप्न साकार रूप प्राप्त कर रहा है। यही उनको हम सभी की ओर से श्रद्धांजलि है।
विहिप मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि आज भी वह हम जैसे लाखों कार्यकर्ताओं के हृदय मे विराजमान हैं। आज उनके संकल्प की पूर्णता भव्य मंदिर निर्माण से हो रही है।
इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर कूदे राम जन्मभूमि आंदोलन में
-15 सितंबर 1926 में जन्में स्व अशोक सिंहल पढ़ाई के दौरान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संपर्क में आए। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने इंजीनियरिंग की उपाधि ली लेकिन नौकरी नहीं की और फिर संघ में प्रचारक बन गए। वर्ष 1981 में उनको संघ की ओर से विश्व हिंदू परिषद में भेजा गया। देश में हिंदुत्व की भावना को फिर से मजबूत करने के लिए 1984 में धर्मसंसद के आयोजन में अशोक सिंहल ने मुख्य भूमिका निभाई। इसी धर्म संसद में साधु-संतों की बैठक के बाद राम जन्मभूमि आंदोलन की नींव पड़ी और स्व सिंघल ने इस आंदोलन का विस्तार पूरे देश में किया।
राममंदिर के शिलान्यास से लेकर कारसेवा और ढांचा ध्वंस में अशोक सिंहल अहम भूमिका में रहे। 1989 में अयोध्या में राम मंदिर के शिलान्यास के बाद अशोक सिंहल ने कहा था, ‘यह मात्र एक मंदिर का नहीं, हिंदू राष्ट्र का शिलान्यास है।’ राम मंदिर के शिलान्यास के बाद अशोक सिंहल ने राम मंदिर आंदोलन को हिंदुओं के सम्मान से जोड़ने में अहम भूमिका निभाई और देश भर में आंदोलन के लिए लोगों को एकजुट किया। वह 2011 तक विहिप के अध्यक्ष रहे और फिर स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने स्वतः अपने पद से मुक्ति ले ली था परन्तु कार्यकर्ताओं के विशेष निवेदन पर वह आजीवन संत धर्माचार्यों से संपर्क और मंदिर निर्माण हेतु अयोध्या प्रवास करते रहे। 17 नवंबर 2015 को उनका निधन दिल्ली में हो गया।
