नाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट: अब मंदिरों को करनी होंगीं ये शर्तें पूरी, पर्यटन विभाग ने मांगा रिकॉर्ड

नाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट: अब मंदिरों को करनी होंगीं ये शर्तें पूरी, पर्यटन विभाग ने मांगा रिकॉर्ड

बरेली, अमृत विचार : नाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर पहले ही काम शुरू हो चुका है, अब शासन ने कुछ शर्तें लागू कर दी हैं। इनके मुताबिक इस प्रोजेक्ट के तहत अब उन्हीं मंदिरों में पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जाएगा जो सार्वजनिक ट्रस्ट के तौर पर पंजीकृत हैं या फिर उनकी भूमि सरकार के नाम दर्ज है। शासन की गाइड लाइन आने के बाद पर्यटन विभाग ने मंदिरों के प्रबंधन से इस संबंध में रिकॉर्ड मांगा है। अभी तीन मंदिरों ने ही दस्तावेज उपलब्ध कराए हैं।

नाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत शहर के सातों नाथ मंदिरों में रोड कनेक्टिविटी स्थापित की जा रही है। इसके साथ मंदिरों का जीर्णोद्धार कराकर पर्यटन सुविधाएं भी बढ़ाई जानी हैं जिसके लिए पिछले महीने 70 करोड़ की योजना को पर्यटन और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम की ओर से सैद्धांतिक स्वीकृति दी जा चुकी है। प्रोजेक्ट के तहत नाथ मंदिरों के बीच रोड कनेक्टिविटी विकसित करने की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को दी गई है। इसी बीच शासन ने नई गाइड लाइन जारी कर दी है। इसके मुताबिक उन्हीं सरकार की ओर से उन्हीं नाथ मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया जाएगा जिनका पंजीकरण सार्वजनिक ट्रस्ट के तौर पर हो या फिर मंदिर शासकीय भूमि पर हो।

शासनादेश आने के बाद पर्यटन विभाग की ओर से सभी नाथ मंदिरों से इस संबंध में जानकारी मांगी गई है। जिला पर्यटन सूचना अधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि अब शासनादेश के मुताबिक अभिलेख उपलब्ध कराने पर ही मंदिरों के प्रस्ताव नॉथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट में शामिल किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि अब तक त्रिवटीनाथ, पशुपतिनाथ और तुलसी मठ प्रबंध की ओर से अभिलेख उपलब्ध कराए गए हैं। ये तीनों मंदिर ट्रस्ट की भूमि पर पंजीकृत हैं। बाकी मंदिरों से अभिलेख मिलने का इंतजार किया जा रहा है।

मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए तैयार हो चुकी है डीपीआर
आर्किटेक्ट सुमित अग्रवाल ने नाथ मंदिरों में पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए डीपीआर तैयार की है। इसमें अलखनाथ, तुलसी मठ और त्रिवटीनाथ मंदिर परिसर में वैदिक लाइब्रेरी बनाने, अलखनाथ मंदिर परिसर में ओपन थिएटर का भी निर्माण होगा जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाएंगे। मंदिरों के परिसर में भंडारे और सत्संग के लिए भी भवन बनाए जांएगे। योजना में सभी नाथ मंदिरों के भव्य द्वार के निर्माण का भी प्रस्ताव शामिल है।

शासकीय भूमि के नाम मंदिर नहीं हैं तो सार्वजनिक ट्रस्ट के नाम पंजीकरण होना चाहिए, तभी नाथ कॉरिडोर की परियोजना में शामिल हो सकेंगे और प्रस्ताव भेजा जा सकेगा।एक ही परिवार के दस लोगों के ट्रस्ट बना लिया तो यह मान्य नहीं हाेगा। शासन की गाइड लाइन आने के बाद मंदिर प्रबंध से संपर्क कर अभिलेख मांगे गए हैं- बृजपाल सिंह, क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी।

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