लखीमपुर खीरी: तो क्या खाली छोड़ने के लिए बना था गोवंश आश्रय स्थल, खेतों में घूम रहे छुट्टा पशु

टिनशेड, दीवारें होने लगीं, जर्जर खराब हो रहा स्टॉक में लगा भूसा

लखीमपुर खीरी: तो क्या खाली छोड़ने के लिए बना था गोवंश आश्रय स्थल, खेतों में घूम रहे छुट्टा पशु

निघासन, अमृत विचार। ग्राम पंचायत बंगलहा कुटी में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल तो बना। पशुओं के रहने और खाने का इंतजाम भी किया गया, लेकिन आश्रय स्थल में आज तक गौवंश नहीं आए हैं। वह सड़कों व खेतों में खुले में ही घूम रहे हैं। गौशाला में रखा भूसा भी सड़ रहा है, लेकिन जिम्मेदार इसको लेकर कतई संजीदा नहीं दिख रहे हैं।

ग्राम पंचायत बंगलहा कुटी में सरकारी जगह चिन्हित कर पिछले साल अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण कार्य कराया गया था। पंचम राज्य वित्तीय योजना के तहत मनरेगा कार्य से करीब चार लाख रुपये निर्माण कार्य में खर्च किए गए थे। तत्कालीन खीरी सांसद पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी, क्षेत्रीय विधायक शशांक वर्मा ने गौशाला का लोकार्पण किया था और हरी झंडी दिखाई थी। लाखों की लागत से बनी गौशाला निराश्रित पशुओं के इंतजार में जर्जर हो चुकी है। ग्रामीणों ने बताया कि मानक विहीन निर्माण कार्य किए जाने से भूसा स्टॉक की टिनशेड कई बार उड़ चुका है। टूटी दिवारों को चौथी बार फिर से दुरस्त किया है। पशुओं के चारे के नाम पर भोजन टिनशेड के नीचे पड़ा सड़ रहा है। पानी आदि की कोई समुचित व्यवस्था नहीं हैं, न ही आज तक सड़कों और खेतों में घूम रहे गोवंशीय पशुओं को गौशाला में भेजा गया है। सचिव ग्राम पंचायत बंगलहा कुटी यशपाल कुमार ने बताया कि तूफान आने की वजह से भूसा गैरेज की टीन गिर गई थी। गौशाला के ऊपर से हाइटेंशन लाइन के तार निकले हुए हैं। इसलिए उसे शुरू कराने में दिक्कत आ रही है। बिजली विभाग को कई बार पत्र लिखा गया है, जो खामियां हैं। उनको सुधरवाया जाएगा।


किसानों की फसल बर्बाद कर रहे गोवंशीय पशु
गोवंशीय पशुओं के लिए गौशाला खुलने से किसानों में उम्मीद जगी थी कि इसके बनने से जहां पशुओं को रहने का स्थान मिलेगा। वहीं उनकी फसलें भी बच सकेंगी। साथ ही सड़कों पर गोवंशीय पशुओं से होने वाले हादसों पर भी अंकुश लगेगा, लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। गोवंशीय पशु उनके खेतों में खड़ी फसलों को चट कर रहे हैं। कड़ाके की ठंड में भी फसल की रखवाली के लिए किसानों को रात खेतों में गुजारनी पड़ती है।