गोंडा: "उधारी" पर टिकी परिषदीय स्कूलों में फल वितरण की योजना, शिक्षकों ने दी यह चेतावनी

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Published By Deepak Mishra
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गोंडा, अमृत विचार। परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सप्ताह में एक दिन फल वितरण करने की योजना "उधारी" के दम पर संचालित हो रही है। पिछले 8 महीने से सरकार ने इस मद में पैसा नहीं दिया है। बजट के अभाव में दुकानदारों से उधार फल खरीदकर बच्चों को वितरित किया जा रहा है। 

विभागीय निर्देशों का अनुपालन करने के फेर में शिक्षक कर्जदार बन रहे है। इस पर आक्रोश जताते हुए राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने जिलाधिकारी को पत्र देकर फल वितरण मद में धनराशि आवंटित कराए जाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी भी दी है कि अगर धनराशि नहीं मिली तो शिक्षक इस योजना को बंद करने के लिए बाध्य होंगे। 

जिले में बेसिक शिक्षा परिषद के 2609 स्कूल संचालित हैं। इनमें करीब तीन लाख बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इन बच्चों को मध्यान्ह भोजन के साथ सप्ताह में एक दिन फल वितरण का निर्देश है। प्रत्येक बुधवार को बच्चों को फल वितरित किया जाता है। फल वितरण मद में सरकार की तरफ से प्रति बच्चा चार रुपये का बजट मिलता है लेकिन पिछले 8 महीने से इस मद में बजट सूखा पड़ा हुआ है‌।

फल वितरण के लिए सरकार के पास बजट का अभाव बताया जा रहा है‌।  बिना बजट यह योजना "उधारी" के दम पर चल रही है। बच्चों के प्रति स्नेह और सरकार के दिशा निर्देशों की लाज रखने के लिए शिक्षक दुकानदारों से उधार फल खरीदकर बच्चों को बांट रहे हैं। 

यह उधारी उन्हे कर्जदार बना रही है‌। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र मिश्रा का कहना है कि जब तो दुकानदार भी उधार देने से इंकार कर रहे हैं। ऐसे में इस योजना के संचालन पर ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि दो महीने पहले सरकार ने इस मद में कुछ धनराशि भेजी थी लेकिन यह पैसा कहां चला गया पता नहीं लगा। 

शैक्षिक महासंघ ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर फल वितरण मद में धनराशि उपलब्ध कराए जाने की मांग की है। वीरेंद्र मिश्र का कहना है कि अगर जल्द ही इस मद में पैसा नहीं मिला तो शिक्षक इस योजना को बंद करने के लिए बाध्य हो जायेंगे।

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