नौकरी के नाम पर साइबर ठगी का बड़ा खुलासा
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नाम पर देश भर में युवाओं को ठगा, एसटीएफ ने किया साइबर फ्रॉड सेंटर का भंडाफोड़, दो गिरफ्तार
देहरादून, अमृत विचार। हैलो.. दिस साइड एचआर हेड ऑफ एक्सवाईजेड कंपनी, दिस इस योर इंटरव्यू कॉल फॉर डाटा इंट्री पोस्ट... अगर आपको भी कोई ऐसी कॉल आती है, तो सतर्क हो जाएं और कंपनी की छानबीन के बाद ही आगे बढ़ें। एसटीएफ देहरादून ने शुक्रवार को ऐसे साइबर फ्रॉड सेंटर को बेनकाब किया है, जिसके संचालक बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अच्छे पैकेज पर जॉब लेटर जारी करने के नाम पर देश भर के युवाओं को ठगते आ रहे थे।
स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि सूचना मिली थी कि देश की दिग्गज कम्पनियों के नाम पर बेरोजगार युवकों को फर्जी जॉब ऑफर लेटर देकर प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर साइबर धोखाधड़ी की जा रही है। कुछ साइबर ठग देहरादून से यह गैंग चला रहे हैं। जांच में देहरादून के पटेल नगर क्षेत्र में साइबर ठग गैंग संचालित होने की सटीक जानकारी मिली।
पता चला कि संदिग्ध बैंक खातों में देश भर के करीब हर राज्य से अलग-अलग लोगों द्वारा रोजाना 2500-30 हजार रुपए के हिसाब से लाखों रुपए जमा किए जा रहे हैं। विशेषकर तेलंगना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक से ज्यादा रकम जमा हो रही है। वहीं, जांच में इन राज्यों में 1930 पोर्टल पर जॉब के नाम पर ठगी के कई मामले दर्ज मिले।
एसएसपी ने बताया कि गहन जांच के बाद टीम ने गांधी ग्राम पटेल नगर देहरादून निवासी इश्विंदर शेरगिल (30)
और मढ़ाली, लैंसडाउन, पौड़ी गढ़वाल निवासी विवेक रावत (32) को गिरफ्तार किया, जो पटेल नगर में बाबाजी ट्रांसपोर्ट कंपनी और सन्नी फाउंडेशन की आड़ में साइबर ठगी कर रहे थे। इश्विंदर वर्ष 2019 में साइबर ठगी में ही थाना बसंत कुंज दिल्ली से जेल गया था। छूटने के बाद साइबर कॉल सेंटर में फिर काम करने लगा था। वहां उसकी मुलाकात विवेक से हुई थी। फिर दोनों ने दिल्ली से देहरादून आकर ठगी का धंधा शुरू कर दिया था।
एक हजार रुपए में डाटा, कमाई लाखों में
आरोपी इश्विंदर ने बताया कि उसको ठगी के लिए बेरोजगार युवकों का डाटा दिल्ली निवासी एक व्यक्ति से 1000 रुपए में और एक प्री-एक्टिवेटिड सिम 800 रुपए में मिलता था। इस डाटा में छात्रों का नाम, मोबाइल नम्बर, ई-मेल आईडी,
शैक्षिक योग्यता, की-स्किल और वो किस इंडस्ट्री में कार्य करने के इच्छुक हैं, उनके फोन नम्बर के साथ पूरा विवरण मिलता था। जिसके बाद ही उन्हें विभिन्न दिग्गज कम्पनियों में नौकरी में सेलेक्शन किए जाने के नाम पर कॉल किया जाता। फिर बकायदा उनका ऑनलाइन टेस्ट लिया जाता, जिसमें उनको बताया जाता कि वो ऑनलाइन टेस्ट में पास हो गये हैं और उनका सलेक्शन हो गया है।
फिर उन्हे सम्बन्धित कंपनी की ओर से जॉब लेटर ऑफर किया जाता। फिर उनसे विभिन्न प्रकार की प्रोसेसिंग फीस, मेडिकल परीक्षण फीस के नाम पर 250 रुपए से शुरू होकर 20-30 हजार की रकम अलग अलग फर्जी खातों में जमा करके एटीएम के माध्यम से निकाल दी जाती है। एक खाते का उपयोग 4-5 लाख रुपए के लिये किया जाता, फिर उन्हें बन्द कर दिया जाता। आरोपियों के पास से 2 लैपटॉप, 7 प्रिएक्टिव सिम कार्ड, 12 एटीएम कार्ड, 7 मोबाइल फोन, 2 पासबुक, 5 बैंकों की चैक बुक, 4 वॉकी-टॉकी सेट बरामद हुए हैं।