Bareilly: प्रदूषण कम करने के लिए फूंके जा रहे करोड़ों, फिर भी बरेली में जल रहा कूड़ा
बरेली, अमृत विचार : नगर निगम के अफसरों को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत हर साल 20 से 30 करोड़ का बजट लेने में भी कोई एतराज नहीं है, और डंपिंग ग्राउंड में कूड़े को आग लगाकर नष्ट करने में भी नहीं। सही बात तो यह है कई साल पहले आईआईटी कानपुर के अध्ययन में कूड़ा जलाने को ही शहर में वायु प्रदूषण बढ़ने का प्रमुख कारण बताया गया था, इसी के बाद शहर का चयन नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के लिए हुआ था।
वायु प्रदूषण के पांच साल तक लगातार बढ़ते हुए खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने के बाद वर्ष 2019 में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बरेली को नॉन-अटेनमेंट शहरों की श्रेणी में चिह्नित किया था, इसी के बाद आईआईटी कानपुर की टीम यहां अध्ययन करने पहुंची थी। उसके उत्सर्जन और स्रोत आधारित अध्ययन में भी कहा गया था कि सड़कों पर उड़ने वाली धूल बरेली में प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है। इसके अलावा कूड़ा जलाने के साथ उद्योगों और यातायात से उत्सर्जित धुआं भी प्रमुख कारण बताया गया था। आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट के आधार पर कई और योजनाओं को लागू करने के साथ पांच साल के लिए बरेली का चयन नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के लिए चयन किया गया था।
पिछले साल इस योजना के तहत नगर निगम को 20 करोड़ का बजट मिला था, इस साल भी 28 करोड़ मिले हैं। इसी बजट से नगर निगम ने सड़कों से धूल-मिट्टी साफ करने वाली मशीनों और स्मॉग गन खरीदी है। वायु प्रदूषण को काबू में रखने के लिए शहर की सड़कों पर इन मशीनों की परेड तो शुरू करा दी गई है, लेकिन कूड़ा जलाने का बरसों पुराना सिलसिला भी थमा नहीं है।
फिर कूड़े में लगाई आग, पीलीभीत बाईपास पर पूरे दिन छाई रही धुंध
मंगलवार को पीलीभीत बाईपास पर बनाए गए अवैध डंपिंग ग्राउंड पर सुबह करीब 9 बजे कूड़े के ढेरों में आग लगा दी गई। कई घंटे कूड़े के ढेरों से उठता रहा, फिर दोपहर के समय लपटें निकलने लगीं। आग की लपटों के बीच कुछ छुट्टा पशु भी फंस गए, लोगों ने किसी तरह आग से दूर हांककर उन्हें वहां से निकाला। शाम ढलने के साथ मौसम सर्द हुआ तो कूड़े से निकला धुआं कई किलोमीटर तक धुंध बनकर छा गया। पूरे दिन कूड़ा जलते रहने के बाद किसी ने इसकी सुध भी नहीं ली। न कोई उसे बुझाने आया।
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के बजट का ये होता है इस्तेमाल
गाइड लाइन में नगर निगम को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम यानी (एनकेप) के तहत आवंटित बजट का प्रयोग सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग, एंटी स्मॉग डस्ट गन, वाटर स्प्रिंकलर, कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलेशन प्लांट लगाने, पार्क और ग्रीन बेल्ट विकसित करने और उनके रखरखाव के लिए जरूरी उपकरण और वाहन खरीदने के लिए करने के निर्देश हैं। इस बजट का उपयोग मुख्य चौराहों पर एयर प्यूरिफायर लगाने, सड़कों को गड्ढामुक्त करने, ज्यादा धूल वाली सड़कों पर पौधरोपण करने के साथ सोल्डर निर्माण, वर्टिकल गार्डन विकसित करने और जन जागरूकता कार्यक्रमों के लिए भी किया जाता है।
वायु गुणवत्ता का श्रेय लेने में पीछे नहीं
अक्टूबर 2024 में नगर निगम ने वायु गुणवत्ता के आंकड़े जारी कर दावा किया था कि पिछले पांच बरसों में शहर की हवा में काफी सुधार हुआ है। हवा में मौजूद पीएम-10 (पार्टिकुलेट मेटर) और पीएम-2.5 में कमी आई है और एक्यूआई का स्तर 180 से घटकर 80 पर पहुंच गया है। इससे पहले वर्ष 2019 में शहर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नॉन-अटेनमेंट शहरों की सूची में रखा था क्योंकि यहां की वायु गुणवत्ता में पांच साल से लगातार गिरावट हो रही थी। पीएम-10 का स्तर 200 माइक्रोग्राम घन मीटर से ज्यादा था। ये वो दौर था जब शहर में कई बड़ी परियोजनाएं निर्माणाधीन थीं। इनका निर्माण पूरा होने के बाद वायु गुणवत्ता भी सुधर गई। लेकिन इसी का श्रेय सरकारी विभागों ने ले लिया।
कहीं कूड़ा नहीं जलना चाहिए। अगर किसी जगह कूड़ा जला है तो गलत है। इसे दिखवाते हैं, जांच में दोषी पाए गए लोगों पर कार्रवाई की जाएगी- एसके राठी, पर्यावरण अभियंता नगर निगम।
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