मुरादाबाद : रिवर फ्रंट और हस्तशिल्प ग्राम के विकास से मुरादाबाद बनेगा आर्थिक हब
मंडलायुक्त की अध्यक्षता में सिटी डेवलपमेंट प्लान मुरादाबाद विजन प्लान 2051 का प्रस्तुतिकरण किया गया
मुरादाबाद, अमृत विचार। मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह की अध्यक्षता में उनके कार्यालय सभागार में गुरुवार को मुरादाबाद विकास प्राधिकरण की ओर से स्टेक होल्डर विभागों के समन्वय से सिटी डवलपमेंट प्लान का प्रस्तुतीकरण किया गया। इसमें प्राधिकरण द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कंसल्टेंसी फर्म के माध्यम से तैयार कराए गए सिटी डेवलपमेंट प्लान की रुपरेखा पर चर्चा की गई। इसमें मेगा फूड पार्क, सेमी कंडक्टर पार्क, मुरादाबाद सिटी सेन्टर, आयुष पार्क, हस्तशिल्प ग्राम, रेलवे स्टेशन री-डवलपमेंट प्लान, मेगा टाउनशिप प्लान, नॉलेज सिटी, रिवर फ्रन्ट के विकास का खाका सामने रखा गया। इनके माध्यम से पीतल नगरी उभरता हुआ वाइब्रेंट इकोनॉमिक हब बनेगा।
फर्म के प्रतिनिधि ने मंडलायुक्त और अन्य अधिकारियों को मुरादाबाद विकास प्लान 2051 को प्रस्तुत कर इसके प्रोजेक्ट मूवमेंट के बारे में विस्तार से बताया। विजन प्लान 2051 के अन्तर्गत मेगा फूड पार्क, सेमी कंडक्टर पार्क, मुरादाबाद सिटी सेन्टर, आयुष पार्क, हस्तशिल्प ग्राम, रेलवे स्टेशन री-डवलपमेंट प्लान, मेगा टाउनशिप प्लान, नॉलेज सिटी, स्पोर्टस काम्प्लेक्स, मल्टीलेवल पार्किंग, रिवर फ्रन्ट का विकास, ईको टूरिज्म पार्क, सीवेज सिस्टम, मेडिसिटी इत्यादि के विकास संबंधी परियोजनाओं से पीतल नगरी एक उभरते हुए वाइब्रेंट इकोनॉमिक हब के रूप में विकसित हो जाएगी।
मंडलायुक्त ने कहा कि विजन प्लान के अन्तर्गत महानगर में सभी जलाशयों को सुरक्षित किया जाए। दुग्ध डेयरी के लिए किसानों को बेहतर इंन्फ्रास्टक्चर उपलब्ध कराया जाए। इन योजनाओं में मुरादाबाद की संस्कृति को समाहित करते हुए हस्तशिल्प ग्राम से मंडल के अन्य जिलों के हस्तशिल्प उत्पादों को भी जोड़ा जाए। मंडलायुक्त ने कहा कि महानगर की आबादी और लोगों की जरूरतों और सुरक्षा के हिसाब से योजनाओं को प्लान किया जाए। इसके लिए संबंधित विभाग, एमडीए और फर्म आपसी संवाद और समन्वय बनाकर मुरादाबाद विकास प्लान 2051 पर कार्य करें। बैठक में जिलाधिकारी अनुज सिंह, मुरादाबाद विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष शैलेश कुमार, नगर आयुक्त दिव्यांशु पटेल, मुख्य विकास अधिकारी सुमित यादव, संयुक्त आयुक्त उद्योग योगेश कुमार, एसपी सिटी सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी और कंपनी के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
यह है मुख्य परियोजनाओं का उद्देश्य
- नए आर्थिक क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करना और स्थानीय कारीगरों को नए अवसर प्रदान करना। बनेंगे मेगाफूड पार्क, सेमी-कंडक्टर, कौशल विकास केंद्र, सिटी सेंटर, बायो-फ्यूल प्रसंस्करण केंद्र और आयुष पार्क
- परिवहन सुधार के अन्तर्गत सिटी कोर क्षेत्र में भीड़ को कम कर सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बेहतर बनाया जाएगा। इसके लिए सड़कों का चौड़ीकरण और चौराहों का सुधार होगा। मल्टी-लेवल पार्किंग बनेगी। रेलवे स्टेशन का फिर से विकास करने के साथ ही इंटर स्टेट बस टर्मिनल (आईएसबीटी) बनेगा। सार्वजनिक ई-बसें और मेट्रो लाइट परियोजना चलेगी।
- जीवन स्तर में सुधार के लिए पर्यावरण सुधार, हरित क्षेत्र और सामाजिक सुविधाओं को बढ़ावा दिया जाएगा। नया मुरादाबाद योजना के पूर्व में मेगा टाउनशिप, मेडी-सिटी, नॉलेज सिटी, स्पोर्ट्स-काम्प्लेक्स, रामगंगा और गागन नदी पर रिवर फ्रंट विकास परियोजना
- प्रस्तावित बसंतपुर रामराय में इको-टूरिज्म पार्क, रामपुर रोड स्थित जीरो पॉइंट के पास बनेगा रिक्रेशनल हब
- बुनियादी ढांचे का उन्नयन: जल, सीवरेज, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, पॉवर एवं नवीनीकरणीय ऊर्जा और हरित ऊर्जा परियोजनाओं को प्राथमिकता देना।
- मुरादाबाद को एक वैश्विक कारीगर केंद्र के रूप में पहचान मिलेगी
महानगर में पर्यावरणीय संरक्षण और हरित ऊर्जा के प्रयोग को मिलेगा बढ़ावा
- नई औद्योगिक परियोजनाओं और कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से होगी रोजगार में वृद्धि
नागरिकों के जीवनशैली में होगा गुणवत्तापरक सुधार - पहले चरण में मुरादाबाद महायोजना -2031 के भू-प्रयोग के आधार पर चिह्नित परियोजनाओं में इलेक्ट्रिक बस चार्जिंग, धातुशिल्प सेवा केंद्र, स्काडा आधारित जलापूर्ति प्रणाली, स्काडा आधारित आईटी अवस्थापना और स्काडा मीटरिंग, प्रमुख चौराहों के सुधार तथा महायोजना सड़कों का निर्माण है शामिल
सिटी डेवलेपमेंट प्लान (सीडीपी) की मुख्य बातें
- मुरादाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय कन्सलटेंसी फर्म के माध्यम से तैयार कराया गया सिटी डेवलपमेंट प्लान
- सिटी डेवलपमेंट प्लान का मुख्य उद्देश्य मुरादाबाद को पीतल नगरी से एक उभरते हुए वाइब्रेंट इकोनॉमिक हब में बदलना
- योजना उत्तर प्रदेश को 2027 तक 1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने में देगी महत्वपूर्ण योगदान
तीन चरणों में चिह्नित की गई हैं परियोजनाएं
- लघु अवधि (2021-31) में शामिल हुईं 18000 करोड़ पूंजीगत व्यय की 45 परियोजनाएं
- मध्यम अवधि (2031-41) में 13000 करोड़ पूंजीगत व्यय की 27 परियोजनाएं हैं शामिल
- दीर्घ अवधि (2041-51) में शामिल हैं 11000 करोड़ पूंजीगत व्यय की 15 परियोजनाएं
- सर्वाधिक एमडीए का होना है 10000 करोड़ का पूंजीगत व्यय, दूसरे व तीसरे नंबर पर है नगर निगम और जल निगम
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