कासगंज: ध्वजा रोहण के साथ शुरू हुआ 105 वर्ष पुराना शिवराज पशु मेला
अतिथियों का किया गया अभिनंदन, पशु कारोबारियों को मिलेंगी हर संभव मदद
सोरों, अमृत विचार। देश के विख्यात मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर लगने वाला शिवराज पशु मेला मंगलवार से शुरू हो गया। आयोजकों ने पूजन किया और ध्वजारोहण कर मेले का शुभारंभ किया। मेले में उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य प्रांतों से पशु कारोबारी व पालक मेले में डेरा डाल चुके हैं। 15 दिवसीय पशु मेला 25 दिसंबर तक चलेगा।
पूजन कर मेले का शुभारंभ करते हुए मेले के आयोजक राव मुकुल मान सिंह ने बताया कि मेला 105 वर्ष पुराना है। 1919 में में मेले का शुभारंभ उनके पूवर्ज राजा शिवराज सिंह के नाम से किया गया था। सन 2018 में मेले का शताब्दी वर्ष मनाई गया था। इस वर्ष मेले में उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश के पशु कारोबारी और पशु पालकों ने डेरा डाल रखा है। मेले में पशुओं की खरीद फरोख्त शुरू हुई है। इस वर्ष 500 से अधिक व्यापारी लगभग 2500 घोड़े, घोड़ी और अन्य जानवरों के साथ मेले में पहुंचे हैं। पालिकाध्यक्ष रामेश्वर दयाल महेरे, शिक्षा सेवा चयन आयोग के सदस्य डा.राधाकृष्ण दीक्षित, डा. बी.डी राना, मुदित मान सिंह, अजय राना मुख्य रूप से मौजूद रहे।
11 लाख की लगी बोली
शिवराज सिंह पशु मेले में पहले दिन जानवरों की खरीद फरोख्त के लिए पहुंचे पशुपालकों ने घोड़ों की खरीद फरोख्त की। सबसे अधिक महंगा घोड़ा 11 लाख रुपए की बोली के साथ बिका। इस घोड़े को बरेली के पशु पालक कासिम ने खरीदा है। इसके अलावा शिकोहाबाद से पांच लाख रूपए की कीमत की घोड़ी लेकर रिंकू पहुंचे।
पहले कभी आते थे हाथी और ऊंट
शिवराज पशु मेले में लगभग तीन दशक पूर्व हजारों की संख्या में पशुपालक और पशु कारोबारी पहुंचते थे। उस समय मेले में घोड़ा, घोड़ी और खचर के अलावा ऊंट और हाथी भी बिकने के लिए आते थे। मेला संचालक रावमुकुल सिंह बताते हैं कि मेले को कभी कोई सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिला। अब हाथी और ऊंट बिकने नहीं आते हैं। अधिकत घोड़ा घोड़ी, खच्चर ही बिकने आते हैं।
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