बरेली: 'बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले से भारत का मुसलमान परेशान', शहाबुद्दीन ने प्रधानमंत्री से की ये मांग
कलेक्ट्रेट पहुंचकर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों का किया विरोध
बरेली, अमृत विचार। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय और हिंदू मंदिरों पर लगातार हमलों के मामले सामने आ रहे हैं। जिसके बाद से भारत में भी आक्रोश है। अभी तक हिंदू संगठन सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। अब ऑल इंडिया मुस्लिम जमात ने भी इसका विरोध किया है। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने अपने समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट जाकर कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे जुल्म से भारत का मुसलमान दुखी है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन प्रशासनिक अफसरों को सौंपा। जिसमें बताया गया कि बांग्लादेश में लंबे समय से अल्पसंख्यक समुदाय हिंदुओं पर जुल्म हो रहा है। बांग्लादेश का हिंदू अगर अपनी आवाज उठाता है तो उसे देशद्रोही कहकर गिरफ्तार कर लिया जा रहा है। भारत के मुसलमानों को वहां के हालात देखकर बेहद दुख और तकलीफ हो रही है। अगस्त में शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट आंदोलनकारियों ने कर दिया, लिहाजा उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। ये आंदोलनकारी कट्टरपंथी विचारधारा रखते हैं, जिन्होंने पूरे बांग्लादेश को एक तरह से बंधक बना रखा है। इस दौरान हाफिज अब्दुल वाहिद नूरी, मौलाना फारूक, शाहिद रजवी, वसीम मियां, रशीद खां, मोहम्मद आरिफ, शाहिद खां, आबिद हुसैन, आरिफ रजा, फैसल एडवोकेट, असलम अंसारी, कासीफ अली, इकबाल अंसारी आदि मौजूद रहे।
आईएसआई को बताया जिम्मेदार
मौलाना शहाबुद्दीन ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई और अमेरिका के सहयोग से बांग्लादेश में हिंदुओं पर खुलेआम जुल्म किया जा रहा है। दुर्गा पूजा पंडालों को उखाड़ा गया फिर मठ और मंदिरों पर हमले किए गए। हिंदुओं के घरों में आग लगा दी गई। इन तमाम घटनाओं से भारत का मुसलमान दुखी है।
प्रधानमंत्री मोदी से की ये मांग
मौलाना शहाबुद्दीन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग करते हुए कहा कि ऐसे हालात से निपटने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाए जाएं। नोबल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस पर दबाव बनाया जाए कि वह अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करें। जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है उनको रिहा किया जाए। अगर बांग्लादेश की सरकार भारत की बात नहीं मानती तो उसके खिलाफ प्रस्ताव लाया जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ के जरिए बांग्लादेश सरकार को घुटने टेकने पर मजबूर किया जाए।
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