Prayagraj News :पैनल अधिवक्ता के बकाया पेशेवर बिल के भुगतान के लिए जौनपुर के जिलाधिकारी को निर्देश

Prayagraj News :पैनल अधिवक्ता के बकाया पेशेवर बिल के भुगतान के लिए जौनपुर के जिलाधिकारी को निर्देश

प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी प्रभाग की गांव सभाओं की ओर से मुकदमों की पैरवी करने के लिए पैनल में नियुक्त अधिवक्ता के पेशेवर बिल का भुगतान न करने के संबंध में जिलाधिकारी, जौनपुर को निर्देश देते हुए कहा कि याची ने अपना पेशेवर काम पूरी ईमानदारी और उचित परिश्रम के साथ किया है। जौनपुर जिले की गांव सभा से संबंधित सभी मामलों में न्यायालय की सहायता की।

अतः ऐसे कर्तव्यनिष्ठ अधिवक्ता को पेशेवर शुल्क के भुगतान के लिए परेशान करना उचित नहीं है। कोर्ट ने जिलाधिकारी के आक्षेपित आदेश को रद्द करते हुए संबंधित अधिकारी को याची के दावे पर पुनर्विचार करने और उन मामलों के लिए याची को बकाया पेशेवर शुल्क का भुगतान करने का निर्देश दिया, जिनमें उन्होंने जिला जौनपुर के गांव सभाओं के लिए नोटिस प्राप्त की थी और न्यायालय के समक्ष गांव सभा का प्रतिनिधित्व किया था। उक्त आदेश न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित की खंडपीठ ने मनोज कुमार यादव की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया।

मालूम हो कि याची वर्ष 2004 से इलाहाबाद हाईकोर्ट में अधिवक्ता के रूप में अभ्यासरत था। उन्हें 16 मई 2013 के आदेश द्वारा वाराणसी प्रभाग की गांव सभाओं के विरुद्ध दाखिल मुकदमों की पैरवी करने हेतु पैनल अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया था। वाराणसी प्रभाग में वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर तथा चंदौली जिले आते हैं। याची ने निष्ठा और ईमानदारी से अपना काम किया, लेकिन 27 दिसंबर 2019 को उसे पैनल से हटा दिया गया। याची को सभी जिलों द्वारा पेशेवर शुल्क के बिलों का भुगतान कर दिया गया, लेकिन जौनपुर से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद बकाया बिलों का भुगतान नहीं किया गया, तब याची ने हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल की, जिसके सापेक्ष विपक्षी को याची के मामले पर विचार करने का निर्देश दिया गया, लेकिन विपक्षी की ओर से कोई कार्यवाही नहीं की गई।

इसके बाद याची ने अवमानना याचिका के माध्यम से इस न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिस पर कोर्ट द्वारा जवाब तलब करने पर विपक्षी ने बताया कि याची ने जिन मुकदमों में नोटिस प्राप्त की या पैरवी की है, वह गांव सभा से संबंधित नहीं है, जैसे लोहिया आवास, ग्रामीण आवास, प्रधान के विरुद्ध कार्यवाही,आंगनबाड़ी वजीफा, राशन कार्ड और सरकारी धन का दुरुपयोग जैसे मामले। इसके बाद कोर्ट ने याची को अपनी शिकायतों के निस्तारण के लिए विपक्षी से पुनः संपर्क करने का निर्देश दिया। इस पर याची ने संबंधित अधिकारी के समक्ष फिर से एक विस्तृत अभ्यावेदन दाखिल किया, जिसे विपक्षी ने अपने पूर्व आदेशों पर भरोसा करते हुए फिर से खारिज कर दिया। उपरोक्त आदेश को ही वर्तमान याचिका में चुनौती दी गई है।

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