प्रयागराज: उद्घाटन से पूर्व नए टोंस पुल में पढ़ने लगी दरारें, हो सकता है बड़ा हादसा

 प्रयागराज: उद्घाटन से पूर्व नए टोंस पुल में पढ़ने लगी दरारें, हो सकता है बड़ा हादसा
बारा प्रयागराज, करोड़ों की लागत से बने टोंस पुल में पड़ी दरारें हादसों को दे रही दावत

बारा/नैनी/ प्रयागराज, अमृत विचार। बारा, मेजा और कोरांव तहसील को जोड़ता हुआ उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश सीमा क्षेत्र से सटा तमसा नदी पर बना नया पुल वर्ष भर पहले चालू हो गया है। उद्घाटन के पूर्व ही पुल में दरारें पड़ गईं। साथ ही पुल के आसपास की रोड धसने लगी। 

ज्ञात हो कि सैकड़ो गांवो को जोड़ने वाला तमसा नदी पर स्थित पुराना पुल जिसे गऊघाट पुल के नाम से भी जाना जाता है 1952 में बनाया गया था जो बाद में काफी जर्जर हो गया था। इसके परिणाम स्वरूप इसके बगल में ही नए पुल का प्रस्ताव रखा गया और  प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इसके लिए उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराया। फिर शासन से बजट मंजूर कराया और वह अब बनकर तैयार हो गया। 

अभी पुल चालू हुए कुछ ही दिन हुए थे कि पुल की सड़क और पुल मे जगह-जगह दरार आने लगी है, जिसमें आए दिन बाइक सवार गिरकर चोटिल हो रहे हैं। पुल के प्रारंभ में और अंतिम छोर पर बड़े-बड़े दरार व गड्डे हो गए है। लोगों द्वारा बताया गया कि रात्रि मे भारी ओवरलोड ट्रकों का परिवहन जोरों से किया जा रहा है, जिससे रोड क्षतिग्रस्त हो रही है। यदि समय रहते पुल की मरम्मत न कराई गई तो रोड की स्थिति और बदतर हो जाएगी। कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है। 

मांडा प्रतापपुर स्टेट हाईवे पर स्थित कई जिलों को जोड़ने वाले पुल के निर्माण की आधारशिला 11 दिसंबर 2020 को रखी गई। इसके लिए शासन द्वारा 63 करोड रुपए स्वीकृत किया गया था। किसानों और कुछ व्यापारियों ने बताया कि यह पुल लोगों के लिए वरदान के समान है। इस पुल के बन जाने से रीवा, सीधी, बांदा, चित्रकूट, प्रतापगढ़ आदि जिलों को जाने के लिए लोगों को काफी सुगमता हुई है। जैसा कि नए पुल के बगल में स्थित 1952 में बना पुल काफी जीर्ण अवस्था में हो गया है। इस पर वाहनों का आवागमन काफी खतरनाक था। 

लोगों को आवागमन के लिए करीब 30 किलोमीटर की दूरी अतिरिक्त तय करके अपने गंतव्य तक जाना होता था। लेकिन इस पुल के बन जाने के बाद लोगों को आवागमन में काफी सुगमता हुई है। साथ ही नारीबारी, लेडियारी, कोरांव के गल्ला व्यापारियों की रुकी हुई प्रगति को गति मिली है। यह पुल 670 मीटर लंबा है और इसे बनने में ढाई वर्ष का समय लगा। क्षेत्रीय लोगों ने पुल में पड़ी दरार और धंसी हुई रोड के बारे में जिलाधिकारी को संज्ञान में लेने की मांग किया है ।

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