संभल हिंसा: हाईकोर्ट में दो और याचिकाएं दाखिल, हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन ने लगाया यह आरोप
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में संभल जिले में हुई हिंसा को लेकर एक और याचिका दाखिल की गई है, जिसमें संभल के जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और संबंधित एसएचओ तथा अन्य जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की गई है। हजरत ख्वाजा गरीब नवाज वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा अधिवक्ता साहेर नकवी और मोहम्मद आरिफ के माध्यम से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में आरोप लगाया गया है कि पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई। याचिका में दावा किया गया है कि जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कोई एफआईआर दाखिल नहीं की गई है, इसलिए हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत मामले में प्राथमिकी दर्ज होना चाहिए। याचिका में विपक्षियों की गिरफ्तारी का आदेश पारित करने का अनुरोध किया गया है।
इसके अलावा संभल की जनता के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस की कथित गोलीबारी की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए नागरिक अधिकार संरक्षण संगठन द्वारा अधिवक्ता पवन कुमार यादव के माध्यम से एक अन्य याचिका दाखिल की गई है। याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस और प्रशासन दोनों ही हिंसा को रोकने में विफल रहे। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि हिंसा में अधिकांश पीड़ित, वर्ग विशेष के हैं। पुलिस मनमाने ढंग से सामूहिक गिरफ्तारियां कर रही है, जिसमें मुख्य रूप से एक समुदाय के लोग अवैध अभियोजन के डर से क्षेत्र से भागने को मजबूर हो गए हैं। याचिका में कहा गया है कि हिरासत में लिए गए लोगों को गिरफ्तारी का कोई आधार, गिरफ्तारी ज्ञापन, एफआईआर का विवरण नहीं दिया जा रहा है। याचिका में विपक्षियों से हिंसा में हुई मौतों का विवरण देने, गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों के नाम को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 37 के तहत जिला पुलिस नियंत्रण कक्ष/पुलिस स्टेशन के बाहर सूचीबद्ध करने तथा बीएनएसएस की धारा 396 के तहत पुलिस बर्बरता में अपनी जान गंवाने वाले पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि गत दिनों संभल हिंसा से संबंधित एक और याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने संभल ट्रायल कोर्ट को चंदौसी स्थित शाही जामा मस्जिद के खिलाफ मुकदमे में तब तक कार्यवाही न करने का निर्देश दिया था, जब तक कि सर्वेक्षण आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल न हो। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद सर्वेक्षण करने वाले एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को भी सीलबंद लिफाफे में रखने का निर्देश दिया था।
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