भारत के लिए अवसर

भारत के लिए अवसर

भारत आर्थिक और भूराजनीतिक दृष्टि से बेहतर स्थिति में है और वह चीन प्लस वन की नीति से लाभ उठा सकता है। क्योंकि भारत में तकनीकी विशेषज्ञता का भंडार है। कुशल श्रमिकों का बड़ा पूल है। देश में डिजिटल प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया जा रहा है। साथ ही बुनियादी ढांचे में निवेश किया जा रहा है और उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजनाएं चलाई जा रही हैं। परंतु चीन, ताइवान और वियतनाम की तरह भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित नहीं कर पा रहा है।

इसकी वजह से घरेलू कंपनियां वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ एकीकृत नहीं हो पाई हैं। महत्वपूर्ण है कि गुरुवार को पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि  वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा नहीं होने से भारत के निर्यात और श्रम-सघन क्षेत्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। जबकि विदेशी कंपनियों के चीन से इतर अन्य देशों में भी विनिर्माण इकाइयां लगाने पर जोर देने की ‘चीन प्लस वन’ नीति से भारत के लिए अवसर पैदा हो रहा है। वास्तव में चीन प्लस वन रणनीति से भारत को कई अवसर मिल सकते हैं। 

भारत में बड़ा घरेलू उपभोक्ता बाजार है, जिससे कंपनियों के लिए यहां कारोबार करना आकर्षक हो जाता है। भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर विनिर्माण का केंद्र बनने की क्षमता है। स्मार्टफोन निर्माण और असेंबली पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। वस्त्र निर्माण, जूते का उत्पादन, दूरसंचार उपकरण, खिलौने और उपभोक्ता वस्तुओं के क्षेत्र में भी अवसर हैं। विविधता लाने के इच्छुक कारोबारियों के लिए चीन के मुकाबले भारत एक आकर्षक विकल्प है। चूंकि आज कंपनियां लागत कम करने के बजाय विविधता लाना चाह रही हैं और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना चाह रही हैं इसलिए चीन के अलावा एक अन्य निवेश केंद्र के लिए पर्याप्त अवसर रहेंगे।

ऐसे में भारत का प्रारंभिक लक्ष्य होना चाहिए कम प्रौद्योगिकी वाली विनिर्मित वस्तुओं के क्षेत्र में निर्यात बाजार की हिस्सेदारी हासिल करना जो कि लागत के लिहाज से सबसे अधिक संवेदनशील होती हैं। इसके लिए मध्यवर्ती वस्तुओं की शुल्क दर कम करने की आवश्यकता है। साथ ही नए मुक्त व्यापार समझौते करने, श्रम बाजार नियमों को सरल बनाने, बेहतर अधोसंरचना, लॉजिस्टिक लागत में कमी करने तथा अनुकूल निवेश माहौल बनाने की आवश्यकता है। मौजूदा वैश्विक हालात की बात करें तो आर्थिक और भूराजनीतिक दृष्टि से भारत की स्थिति बेहतर है। सरकारी नीतियों को घरेलू मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि मूल्य श्रृंखला में अपनी स्थिति बेहतर की जाए।