बरेली वासियों के लिए खुशखबरी, केरल-गोवा की तरह आपके शहर में भी होगा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट

बरेली वासियों के लिए खुशखबरी, केरल-गोवा की तरह आपके शहर में भी होगा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट

बरेली, अमृत विचार: पणजी (गोवा) में आयोजित कार्यशाला में मिला एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन यानी इंटिग्रेटेड सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का सबक स्मार्ट सिटी मिशन- 2 के तहत बरेली में लागू किया जाएगा। ये मैनेजमेंट गोवा और केरल के मॉडल पर आधारित होगा।

पणजी ( गोवा) में आयोजित स्मार्ट सिटी मिशन- 2 के तहत हुई वर्कशॉप में हिस्सा लेकर लौटे बरेली स्मार्ट सिटी के सीईओ संजीव कुमार मौर्य के मुताबिक इस वर्कशॉप में देशभर के उन 18 शहरों के अधिकारियों ने भाग लिया जिनका चयन स्मार्ट सिटी मिशन- 2 में किया गया है। वर्कशॉप में केरल और गोवा के एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर चर्चा की गई। अब इसी मॉडल को बरेली में धरातल पर उतारने के लिए योजना तैयार की जाएगी।

उन्होंने बताया कि वर्कशॉप में यूरोपियन यूनियन और फ्रांस की कई एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। वर्कशॉप का प्रमुख मकसद था कि शहरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की कमियों को दूर कर उसे बेहतर बनाया जाए। इसके लिए उन शहरों को बढ़ावा दिया जा रहा है जो अपने नागरिकों को बेहतर जीवन स्तर देने के लिए बुनियादी ढांचा मुहैया कराते हैं। इसके जरिए स्मार्ट समाधान लागू करने और स्थानीय क्षेत्र के विकास को सक्षम किया जाना।

हरित स्थान, पार्क, और मनोरंजन केंद्र,क्षेत्र-आधारित विकास (एबीडी) से मौजूदा क्षेत्रों को बेहतर नियोजित क्षेत्रों में बदला जाना है। इस वर्कशॉप में यूपी से बरेली और आगरा स्मार्ट सिटी के सीईओ को ही बुलाया गया था क्योंकि ये दोनों शहर स्मार्ट सिटी के पहले फेज के सभी प्रोजेक्ट पूरा करने के बाद दूसरे फेज के लिए चुने गए हैं।

सफाई में स्वयं सहायता समूह भी सहभागी
बरेली: केरल में वार्डों की स्वच्छता की जिम्मेदारी स्वयं सहायता समूह और गोवा में सिविल सोसाइटी को भी दी गई है। वर्कशॉप में इस पर चर्चा हुई कि दूसरे शहरों इसे कैसे लागू किया जा सकता है। सीईओ संजीव कुमार ने बताया कि गोवा में सफाई व्यवस्था बेहतर होने के पीछे का कारण वहां मानव संसाधन ज्यादा होना और लोगों का जागरूक होना है। दूसरे शहरों में इसी दिशा में कैसे बढ़ा जा सकता है, इस पर विस्तार से चर्चा की गई।

शॉर्ट वेस्ट मैटेरियल के इस्तेमाल पर चर्चा
वर्कशॉप में बताया गया कि शॉर्ट वेस्ट मैटेरियल यानी अपशिष्ट या अनुपयोगी सामग्री का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है। एजेंसियों की ओर से विस्तार से जानकारी दी गई कि इसे सड़क निर्माण जैसे कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है। प्लास्टिक, स्टील स्लैग और फ्लाई ऐश का इस्तेमाल कर सड़कें बनाई जा सकती हैं। यह सड़क बिटूमिन और तारकोल के बीच दोगुनी क्षमता से पकड़ बनाए रखती है। लागत भी कम आती है। एनटीपीसी के अधिकारियों ने वेस्ट मैटेरियल से बिजली उत्पादन के बारे में भी जानकारी दी।

पीपीपी मॉडल के तहत बनेंगे प्रोजेक्ट
बरेली: जबलपुर नगर निगम के सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के बारे में बताया गया। इस मॉडल के तहत परियोजना को आगे बढ़ाने की विस्तार से चर्चा की गई।

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