Kanpur: सीसामऊ सीट पर जीत के बाद बोले सपा विधायक - कानपुर में किसी का अहंकार नहीं चलता...बांटने वाले खुद बंट गए

Kanpur: सीसामऊ सीट पर जीत के बाद बोले सपा विधायक - कानपुर में किसी का अहंकार नहीं चलता...बांटने वाले खुद बंट गए

कानपुर, अमृत विचार। ये रामपुर नहीं है जनाब, कानपुर है। यहां पर किसी भी अहंकारी का अहंकार नहीं चलता है। सिर्फ जनता की ही चली है और चलती रहेगी। सीसामऊ सीट पर जबरदस्ती उप चुनाव जरूर कराया गया, लेकिन परिणाम हमेशा की ही तरह वही रहा। चुनाव से यह भी सिद्ध हुआ कि सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी और सोलंकी परिवार की थी और रहेगी। यह बातें आर्य नगर से सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने जीत के बाद बोलीं। 

सीसामऊ उप चुनाव में भाजपा और सपा के बीच कांटे की टक्कर होने के बाद जीत हमेंशा की तरह इस सीट पर समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी की हुई। सोलंकी परिवार से नसीम सोलंकी पहली बार विधायक चुनीं गई। जबकि अभी तक नसीम के पति इरफान व ससुर हाजी मुश्ताक सोलंकी विधायक रहे। उप चुनाव में जैसे ही 20वें राउंड की गिनती पूरी के बाद फैसला सपा प्रत्याशी के पक्ष में आया तो समाजवादियों के चेहरे खिल उठे।

सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने फुटबॉल लेकर प्रदर्शन किया। कहा कि मुख्यमंत्री के तीन-तीन दौरे के बाद भी सीसामऊ की जनता वही किया, जो अभी तक करती आई यानी समाजवादी पार्टी के प्रत्यासी के ही सिर पर जीत का ताज सजाया। फुटबॉल दिखाते हुए उन्होंने बोला कि ये अहंकार का प्रतीक है और यह अहंकार हारा है। फुटबॉल पंचर हुई। यह जीत कानपुर के लोगों की मोहब्बत का प्रतीक है।

इस उप चुनाव में लोकतंत्र पर जो विश्वास है, उसकी जीत हुई है। क्योंकि यह उप चुनाव भाजपा ने तो लड़ा ही नहीं, बल्कि पुलिस प्रशासन, नगर निगम, खाद्य विभाग, ड्रग विभाग, केस्को समेत आदि विभागों ने लड़ा। लेकिन कानपुर की जनता ने सरकार का अहंकार चकनाचूर कर दिया। लोकतंत्र के क्षेत्र में लोगों को प्यार से जोड़ने का काम समाजवादी पार्टी व इंडिया गठबंधन ने किया है। 

बांटने वाले खुद बट गए

भाजपा प्रत्याशी सुरेश अवस्थी ने उप चुनाव हारने के बाद बोला कि हिंदू एक नहीं हुआ, जिसकी वजह से वह जीत नहीं सके। इसपर सपा विधायक अमिताभ बाजपेई ने उनपर पलटवार करते हुए कहा कि ये बांटने वाले खुद बट गए। हिंदू-मुस्लिम से हटकर बात करनी चाहिए। उन्होंने इतने चुनाव लड़े हैं, खाली प्लाट पर कब्जा करने के सिवाये कोई सार्थक काम नहीं किया है। न ही जनता के बीच जाकर उनके सुख-दुख में शामिल हुए। क्योंकि जब जनता के से जुड़ेंगे तो ही जीतेंगे। केवल धर्म के नाम पर लोगों को बांट और कांट नहीं सकते हैं। 

2022 की रणनीति की आई काम 

कैंट विधायक हाजी मोहम्मद हसन रूमी ने बताया कि चुनाव की रणनीति पदाधिकारियों के साथ मिलकर बनाई गई थी, जिसमें 2022 में हुई जीत के आंकड़े लिए गए थे और उनपर पार्टी के विधायक और पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने खूब किया, जिसकी वजह से जीत का आंकड़ा लगभग उतना ही रहा। 2022 के मुकाबले सपा का वोट सिर्फ करीब डेढ़ हजार ही कम हुआ। हां, लेकिन अगर सरकारी विभागों द्वारा जो कार्यवाही की गई है, वो न होती तो जीत का अंतर और अधिक होता। 

नसीम सोलंकी की जीत के बाद खुला केंद्रीय कार्यालय 

सीसामऊ विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान हुआ था, जिस दौरान पुलिस प्रशासन ने इंडिया गठबंधन से सपा प्रत्याशी नसीम सोलंकी का केंद्रीय उप चुनाव कार्यालय को बंद करा दिया था। 23 नवंबर को मतगणना के बाद जैसे ही नसीम सोलंकी के सिर पर जीत का ताज सजा और खबरें सोशल मीडिया में वायरल हुई, वैसे ही समर्थक व कार्यकर्ता केंद्रीय चुनाव कार्यालय और उनके जाजमऊ स्थित आवास पर बधाई देने पहुंचे। 

अतिशबाजी के साथ मनाया जीत का जश्न 

केंद्रीय चुनाव कार्यालय और जाजमऊ स्थित आवास के बाहर शाम को सैकड़ों की संख्या में लोग नवनिर्वाचित सीसामऊ विधायक नसीम सोलंकी का स्वागत के लिए पहुंचे। आवास के बाहर लोगों अतिशबाजी की। आवास से निकलने पर केंद्रीय कार्यालय पहुंचने तक लोगों ने जगह-जगह उनका स्वागत किया। केंद्रीय कार्यालय के बाहर लोगों ने जमकर अतिशबाजी की और जीत का जश्न मनाया। साथ ही ढोल की थाप पर नृत्य भी किया।