Dr. Google से न करें इलाज, नहीं पड़ जाएगा भारी
लखनऊ, अमृत विचार: गूगल जानकारी का भंडार है। मेडिकल की ढेर सारी जानकारी गूगल पर उपलब्ध है। लेकिन इसका इस्तेमाल मरीज के इलाज पर नहीं किया जा सकता है। यह जानकारी पुण्डुचेरी की डॉ. महालक्ष्मी वीएन ने कही। एराज मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 15वें राष्ट्रीय स्वास्थ्य व्यवसाय शिक्षा सम्मेलन के दौरान कुलपतियों के सम्मेलन हुआ। डॉ. महालक्ष्मी वीएन ने कहा कि डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ की क्लीनिकल क्षमता को बढ़ाना जरूरी है। डॉक्टर वार्ड में जाकर मरीज का इलाज करके ही इलाज का तरीका सीख सकता है। डॉ. थॉमस चेको ने कहा कि मरीजों की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए हर अस्पताल को इलाज के मानक तय करने होंगे। राष्ट्रीय स्तर पर मानक बने हुए हैं। उनका पालन करना सुनिश्चित किया जाए। हर मरीज के लिए एक ही प्रकार के मानक नहीं हो सकते। चिकित्सा संस्थानों में आपसी तालमेल काफी जरूरी है। ताकि हम एक दूसरे के संसाधनों की जानकारी साझा कर सकें। यह काफी मुश्किल है कि कोई एक संस्थान हेल्थकेयर और चिकित्सा शिक्षा के सभी संसाधनों से लैस हो। यह बातें एरा मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अब्बास अली महदी ने कही।
फैकल्टी का विकास जरूरी
कुलपति डॉ. अब्बास अली ने कहा कि किसी भी संस्थान को बेहतर बनाने के लिए फैकल्टी का विकास जरूरी है। मेडिकल क्षेत्र को जो ग्रांट मिलती है वो न्यूनतम होती है। नासिक स्थित महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस की कुलपति डॉ. माधुरी कनितकर ने कहा कि मेडिकल संस्थानों में पढ़ाई के साथ इलाज भी होता है। इसलिए तकनीक व ज्ञान का आदान प्रदान जरूरी है।
एआई की भूमिका बढ़ी
एरा विश्वविद्यालय की उप कुलपति डॉ. फरजाना मेहंदी ने कहा कि हेल्थकेयर और मेडिकल शिक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की भूमिका बढ़ी है। आने वाले समय में एआई मेडिकल क्षेत्र के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। इससे मेडिकल शिक्षा और सेवा को बेहतर तो बना सकता है, लेकिन यह डॉक्टर का विकल्प नहीं बन सकता है। तकनीक के इस दौर में एआई स्कूल और अस्पताल बन रहे हैं, हमें इस बात पर फोकस करना होगा कि एआई का इस्तेमाल समाज के हित में कैसे किया जा सकता है। कार्यक्रम में डॉ. पायल को एकेडमी आफ हेल्थ प्रोफेशन एजूकेशन एएचपीई का नया अध्यक्ष चुना गया। वर्तमान अध्यक्ष डॉ. चेतना देसाई ने इसकी घोषणा की।
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