पीलीभीत: चिराग तले अंधेरा...दूसरों को दिखाया आईना, खुद बेपरवाह
झांसी अग्निकांड के हुई चेकिंग में अधिकांश कार्यालयों से सिलिंडर नदारद मिले
पीलीभीत, अमृत विचार। झांसी में हुए अग्निकांड के बाद अधिकारियों ने सरकारी और निजी अस्पतालों में पहुंचकर अग्निशमन संसाधनों को परखा था। हादसे से निपटने के लिए पुख्ता तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे। मगर, सरकारी दफ्तरों की भी बेपरवाह तस्वीर बनी हुई है।
सरकारी कार्यालयों में अभिलेखों को सुरक्षित रखना विभाग की जिम्मेदारी होती है, लेकिन अधिकतर सरकारी कार्यालयों में अग्निशमन के इंतजाम ही नहीं हैं। कहीं इंतजाम किए भी गए हैं, तो खानापूर्ति है। न तो अग्निशमन यंत्र ठीक हैं और न ही पानी की कोई व्यवस्था है। नियम के मुताबिक जहां अग्निशमन यंत्र लगाए गए हैं, वहां उनकी जांच प्रत्येक वर्ष होनी चाहिए, लेकिन जिम्मेदार उदासीन बने हुए हैं। जबकि झांसी में हुए हादसे के बाद खुद अधिकारियों ने दूसरों को जागरुक किया था। अपने कार्यालयों में क्या स्थिति है, उसके बारे में कभी जाने की कोशिश नहीं की। कार्यालयों में लगे फायर सिलिंडर कई साल पहले ही एक्सपायर हो चुके हैं। जिनकी दोबारा रिफिल करना तक जरूरी नहीं समझा। इतना ही नहीं कई कार्यालयों में तो सिलिंडर ही गायब हैं। कई सारे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड रखे हुए हैं। ऐसे में इन सरकारी कार्यालयों में आग लगी तो सरकारी अभिलेखों को बचा पाना मुश्किल होगा। सोमवार को अमृत विचार की टीम ने पड़ताल की तो लापरवाह तस्वीर उजागर हुई।
विकास भवन :19 कार्यालय, फायर सिलिंडर अधिकतर में नहीं
जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट में संचालित हो रहे विकास भवन में करीब 19 से अधिक कार्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें सीडीओ, डीडीओ, डीपीआरओ , जिला दिव्यांग कल्याण, जिला समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा अल्पसंख्यक, जिला कार्यक्रम अधिकरी, मत्स्य विभाग, डीएसटीओ, जिला सहकारिता, कृषि, पशुपालन, डीआरडीए, पीआरडी, पीओ नेडा, प्रोबेशन अधिकारी शामिल हैं। नियम है कि इन सभी कार्यालयों में फायर सिलिंडर होना अनिवार्य है। मगर अधिकतर में फायर सिलिंडर नहीं लगे हैं, जहां लगे उनकी रिफलिंग भी नहीं कराई गई। ऐसे में इन सरकारी कार्यालयों में अगर आग लगी तो अभिलेख बचना मुश्किल हो गया है। जबकि पूर्व में जिला पंचायती राज कार्यालय में आग भी लग चुकी है। इसके बाद भी जिम्मेदारों ने सबक नहीं लिया। प्रथम तल पर चंद कार्यालयों में फायर सिलिंडर लगे हैं।
विनियमित क्षेत्र और एनआईसी में लगे एक्सपायरी फायर सिलिंडर
रिकॉर्ड रूम में भी फायर सिलिंडर नहीं था। एक बॉल्टी में रेत कलेक्ट्रेट में स्थित विनियमित क्षेत्र का कार्यालय बना हुआ है, जहां सिटी मजिस्ट्रेट भी बैठते हैं। साथ ही शहरी क्षेत्र में होने वाले आवासीय और कामर्शियल काम्प्लैक्स की एनओसी ली जाती है। कुछ मानकों के तहत विनियमित क्षेत्र से फायर एनओसी भी लेने का प्रावधान है। मगर यहां सिटी मजिस्ट्रेट के कार्यालय में फायर के तीन सिलिंडर लगे मिले। जोकि एक्सपायर हो चुके है। यहां लगे सिलिंडर वर्ष 2018 में ही एक्सपायर हो चुका है। जिसको रिफिल नहीं कराया गया है। इस पर अफसरों को ध्यान देने की जरुरत है। इनके अलावा एनआईसी में भी एक्सपायर का सिलिंडर लगा हुआ है। वहां लगे सिलिंडर पर दो जुलाई 2024 को एक्सपायर हो गया। यहां भी रिफिलिंग नहीं कराई गई। जबकि एनआईसी के महत्वपूर्ण कार्यालय है। जहां से हर कार्यालय का सर्वर संचालित होता है।
ट्रेजरी : करोड़ों का लेनदेन, फायर सिलिंडर नहीं
कलेक्ट्रेट में संचालित हो रहे ट्रेजरी में जिले के हर सरकारी कार्यालय के लेनदेन का लेखा-जोखा होता है। जहां प्रतिदिन करोड़ों का लेनदेन होता है। इस कार्यालय में प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते हैं। वर्तमान समय में ट्रेजरी में जीवित प्रमाण पत्र जमा करने के लिए लाइन लग रही है, जहां बुजुर्ग अपने जीवित होने का प्रमाण पत्र लेकर पहुंच रहे हैं। मगर इस महत्वपूर्ण कार्यालय में आग बुझाने के इंतजाम नहीं है। ऐसे में अगर यहां किन्हीं कारणों के चलते आग लगी तो काबू पाना मुश्किल होगा। क्योंकि यहां पर एक भी फायर सिलिंडर नहीं लगा हुआ है। वहीं कृषि विभाग में एक भी फायर सिलिंडर नहीं लगे हुए हैं, जो घटना को बढ़ावा दे रहे हैं।
जानिए क्या बोले जिम्मेदार
सिटी मजिस्ट्रेट विजय वर्धन तोमर ने बताया कि समस्त सरकारी कार्यालयों में फायर सिलिंडर होना अनिवार्य है। प्रतिवर्ष इसकी रिफ्लिंग भी कराई जाती है। झांसी में हुए अग्निकांड के बाद सरकारी और निजी अस्पतालों को चेक भी कराया गया था। सरकारी दफ्तरों में लगे सिलिंडरों को भी रिफ्लिंग कराया जाएगा। इसे गंभीरता से दिखवाएंगे।