संपादकीय, 19 नवंबर... जी 20 शिखर सम्मेलन
ब्राजील में चल रहा दो दिवसीय जी20 शिखर सम्मेलन में दुनिया की बड़ी और महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था वाले देशों के राष्ट्राध्यक्षों का मिलन एक बड़ा मौका है। जी 20 के नेताओं की शिखरवार्ता में भूराजनीतिक मुद्दे हावी रहने की संभावना है। दुनिया न केवल यूक्रेन पर रूसी युद्ध को लेकर विभाजित है, बल्कि पिछले अक्टूबर में हमास के हमले के जवाब में गाजा में इजरायल के युद्ध को लेकर भी विभाजित है।
यानी ब्राजील सम्मेलन पर दो प्रमुख युद्धों और डोनाल्ड ट्रंप की हालिया चुनावी जीत का साया है। बढ़ते वैश्विक तनाव और आने वाले ट्रंप प्रशासन के बारे में अनिश्चितता से अमेरिका की वैश्विक आर्थिक नीति के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ गई है। ऐसे में वार्ताकारों को सभी देशों के लिए स्वीकार्य संयुक्त वक्तव्य की भाषा तय करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। यह देखना अभी बाकी है कि प्रभाव किस हद तक होगा।
गौरतलब है कि जी 20 एक प्रभावशाली अंतर्राष्ट्रीय मंच है जो वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों को संबोधित करता है, वित्तीय स्थिरता और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है। 1999 में स्थापित इस समूह में 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। फिलहाल जी 20 देशों में दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी, वैश्विक जीडीपी का 80 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत शामिल है। भारत एक महत्वपूर्ण उभरती अर्थव्यवस्था है, जी 20 में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस समय भारत वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो चुका है। महत्वपूर्ण है कि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं। रूस में ब्रिक्स की बैठक के एक महीने से भी कम अंतराल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ब्राजील में दोबारा मुलाकात हो सकती है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की द्विपक्षीय मुलाकातों पर भी सभी की नजरें टिकी हैं।
भारत की अध्यक्षता में नई दिल्ली के पिछले सम्मेलन में जहां यह अंतर्राष्ट्रीय मंच पहले से ज्यादा प्रासंगिक और ज्यादा मजबूत होकर उभरा, वहीं विश्व में भारत की भूमिका भी पहले से अधिक महत्वपूर्ण और निर्णायक साबित हुई। 55 देशों के अफ्रीकी संघ को जी 20 के स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करना और यूक्रेन संघर्ष पर गहरे मतभेदों को दूर करते हुए साझा घोषणापत्र तैयार करना, पिछले वर्ष भारत की जी 20 अध्यक्षता के प्रमुख मील के पत्थर के रूप में देखा गया। परंतु मौजूदा वैश्विक हालात में ब्राजील सम्मेलन में किसी साझा घोषणापत्र पर सहमति बन पाई तो उसे करिश्मा ही माना जाएगा।