Kanpur: पशुओं के घाव को लेकर किसान रहें सतर्क...CSA University की ओर से पशु रोग प्रबंधन प्रशिक्षण हुआ आयोजित
किसानों को खुरपका व मुंहपका रोग के बारे में बताया
कानपुर, अमृत विचार। सीएसए विवि की ओर से किसानों को जागरुक करने के लिए पशु रोग प्रबंधन प्रशिक्षण आयोजित किया गया। कार्यशाला में सीएसए विवि के विशेषज्ञों की ओर से किसानों को पशुओं में होने वाले रोग मुंहपका और खुरपका रोग के प्रति जागरुक किया गया। कहा गया कि पशु किसानों के लिए सबसे बड़ी संपत्ति है। ऐसे में किसानों की ओर से पशुओं का ख्याल रखा जाना बहुत जरूरी है।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर पर दो दिवसीय प्रशिक्षण हुआ। प्रशिक्षण के आखिरी दिन किसानों को खुरपका, मुंहपका रोग के विषय में बताया गया। केंद्र के पशु पालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने किसानों को बताया कि पशुओं में खुरपका, मुंहपका रोग विषाणु जनित रोग है, जिसका प्रभाव गौ वंसीय पशुओं में ज्यादा होता है।
इस रोग से प्रभावित पशु के लिए मुंह से अत्यधिक लार का टपकना (रस्सी जैसा) जीभ तथा तलवे पर छालों का उभरना जो बाद में फट कर घाव में बदल जाते हैं। जीभ की सतह का निकल कर बाहर आ जाना एवं थूथनों पर छालों का उभरना। खुरों के बीच में घाव होना जिसकी वजह से पशु का लंगड़ा कर चलना या चलना बंद कर देता है। इस रोग का विशेष उपचार नहीं है।
लक्षणों के आधार पर उपचार एंटीबायोटिक, दर्द बुखार रोकने की दवाएं (अनालजेसिक) तथा मुंह के व खुरो के छाले इत्यादि की एंटीबायोटिक घोल से धुलाई, नरम व सुपाच्य भोजन की आपूर्ति व रोगी पशुओं एक जगह रखना किया जा सकता है। इस रोग के प्रभावी रोकथाम के लिए खुरपका मुहपका की पलिवेलेंट वैक्सीन द्वारा टीकाकरण ही उचित उपाय है। डॉ. कांत ने बताया कि इस रोग का टीका प्रतिवर्ष 6 महीने के अंतराल पर मुख्य रूप से जनवरी से फरवरी और जुलाई से अगस्त में अवश्य लगवाना चाहिए, जिससे इस रोग से पशुओं को बचाया जा सके।
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