हल्द्वानी: वन विभाग की अनुमति में अटकी, हजारों लोगों की जान की सुरक्षा
हल्द्वानी, अमृत विचार। काठगोदाम से हैड़ाखान जाने वाले मार्ग पर किमी तीन पर हालात अभी भी वैसे ही बने हुए हैं। सड़क का एक हिस्सा पूरी तरह से धंस गया है और पहाड़ी अभी भी दरक रही है। इस वजह से वाहन चालकों को जान को खतरे में डालकर ध्वस्त हुए हिस्से को पार करना पड़ता है। लोक निर्माण विभाग के पास नई सड़क बनाने की जिम्मेदारी है लेकिन नई सड़क के लिये भूमि का प्रस्ताव वन विभाग में अटका हुआ है।
वर्ष 2022 के नवंबर में हल्द्वानी में भूकंप के बाद सड़क का एक हिस्सा पूरी तरह से दरक गया था। सड़क का 300 मीटर हिस्सा भू-स्खलन प्रभावित हो गया। इसके बाद सड़क को बंद करवा दिया गया और लोगों को किमी तीन से करीब एक किमी की पहाड़ी चढ़कर पक्की सड़क मिलती थी। इसके बाद वे पसौली, हैड़ाखान, खनस्यू, चंपावत आदि के लिये सफर करते थे। बाद में किसी तरह सड़क को खोल दिया गया लेकिन लोगों को भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र से होकर ही जाना पड़ता है। करीब 200 गांवों के लोग हल्द्वानी आने के लिये इसी सड़क का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस बार मानसून की बारिश में यह सड़क करीब पांच बार बंद हुई थी। बारिश के अलावा सामान्य दिनों में भी सड़क पर पहाड़ी से पत्थर और मलबा गिरता रहता है। भूस्खलन वाली पहाड़ी कमजोर हो चुकी है। पहले तो प्रशासन ने इसी सड़क को सही करने पर विचार किया था लेकिन जब बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन समेत अन्य संस्थाओं से पहाड़ी का सर्वे कराया तो पता चला कि अब इस सड़क को सही करना संभव नहीं है।
ऐसे में पास ही से नई रोड बनाने के प्रस्ताव पर विचार हुआ। वन विभाग की मानें तो नई सड़क निर्माण में 418 हरे पेड़ों पर आरी चलेगी और 10 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि का हस्तांतरण होगा। इसके बाद ही नई सड़क बन पायेगी। वन विभाग में लोनिवि ने प्रस्ताव भेजा था लेकिन वन विभाग ने लोनिवि को प्रस्ताव को पूरी तरह से नकार दिया। इसके बाद दोबारा संशोधित करके प्रस्ताव भेजा गया है। अब प्रस्ताव को भेजे हुये करीब चार माह का समय हो गया है लेकिन प्रस्ताव ठंडे बस्ते में अटका हुआ है। ग्रामीणों को इंतजार है कि प्रस्ताव पर मंजूरी मिले तो हजारों लोगों को जान को जोखिम में डालकर सफर न करना पड़े।
जमरानी बांध प्रोजेक्ट से लेकर सामरिक दृष्टि से महत्तवपूर्ण सड़क
जमरानी बांध प्रोजेक्ट के लिये काम तेजी के साथ चल रहा है। इस परियोजाना के लिये काठगोदाम से हैड़ाखान सड़क पर ही ज्यादा आवागमन होगा। ऐसे में नई सड़क को समय पर बनाना बहुत जरूरी है। साथ ही इस सड़क का सामरिक दृष्टि से भी महत्व है। यह सड़क आगे शहरफाटक तक जाती है। जहां से चीन सीमा तक पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा इस सड़क से जुड़े करीब 200 गांवों के कई लोग नौकरी, रोजगार, पढ़ाई, स्वास्थ्य सेवायें, बाजार आदि के लिये हल्द्वानी आते हैं। नैनीताल दुग्ध संघ के अनुसार इस सड़क पर बसे कई ग्रामीणों की आय का प्रमुख जरिया दुग्ध उत्पादन है और गांवों से दूध लाने के लिये सड़क का बनना जरूरी है। जब सड़क बंद होती है तब ग्रामीणों से दूध लेना भी बंद हो जाता है।
उड़ते रहते हैं धूल के गुबार
जिस 300 मीटर के हिस्से में सड़क ध्वस्त है, वहां हर समय धूल के गुबार उड़ते रहते हैं। बारिश के समय यहां कीचड़ हो जाती है। जब दो बड़े वाहन आमने-सामने आते हैं तो वाहनों को रोक-रोककर ले जाना पड़ता है। कई बार दोपहिया वाहन मलबे वाली जगह पर गिर जाते हैं।
वन विभाग में हल्द्वानी से हैड़ाखान मार्ग पर ध्वस्त हुई सड़क की जगह नई सड़क के लिये प्रस्ताव भेजा गया है। अनुमति मिलने के बाद आगे का काम तेजी के साथ किया जाएगा।
-मनोज पांडे, ईई, लोनिवि, भीमताल खंड