भारत, चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने की दिशा में ‘कुछ प्रगति’ की : जयशंकर 

भारत, चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने की दिशा में ‘कुछ प्रगति’ की : जयशंकर 

अमृत विचार, नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत और चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने की दिशा में ‘‘कुछ प्रगति’’ की है। उन्होंने इस घटनाक्रम को ‘‘स्वागत योग्य’’ कदम बताया। जयशंकर की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध वाले दो बिंदुओं-डेमचोक और देपसांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने के कुछ दिनों बाद आई है।

भारतीय सेना ने देपसांग में सत्यापन गश्त शनिवार को शुरू की, जबकि डेमचोक में गश्त शुक्रवार को शुरू हुई थी। जयशंकर ने ब्रिस्बेन में प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘भारत और चीन के संदर्भ में हमने कुछ प्रगति की है। आप जानते हैं कि हमारे संबंध कुछ कारणों से बहुत ही खराब थे। हमने (सैनिकों के) पीछे हटने की दिशा में कुछ प्रगति की है।’’ 

विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘वास्तविक नियंत्रण रेखा के आसपास बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले वहां नहीं थे और बदले में हमने भी जवाबी तैनाती की। इस अवधि के दौरान संबंधों के अन्य पहलू भी प्रभावित हुए हैं। इसलिए स्पष्ट रूप से, हमें पीछे हटने के बाद देखना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।’’ 

जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन, हमें लगता है कि पीछे हटना एक स्वागत योग्य कदम है। इससे यह संभावना खुलती है कि अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि पिछले महीने रूस में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से मुलाकात के बाद उम्मीद थी कि ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और मैं दोनों अपने समकक्षों से मिलेंगे। तो चीजें इस तरह हुई हैं।’’ 

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में कहा था कि पिछले कई हफ्तों की बातचीत के बाद भारत और चीन के बीच एक समझौते को अंतिम रूप दिया गया है, जिससे 2020 में उठे मुद्दों का समाधान निकलेगा। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर सैनिकों को पीछे हटाने और गश्त करने पर सहमति बनी, जो चार साल से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है। जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई थी। दो देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण में आस्ट्रेलिया के शहर ब्रिस्बेन पहुंचे जयशंकर ने कहा कि इस समय दो संघर्षों पर हर किसी की नजरें टिकी हुई हैं। 

उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा, ‘‘एक यूक्रेन है। और दूसरा पश्चिम एशिया में जो हो रहा है। अलग-अलग तरीकों से हम दोनों में कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं।’’ यूक्रेन-रूस संघर्ष पर जयशंकर ने कहा कि भारत कूटनीति पर फिर से जोर दे रहा है, तथा प्रधानमंत्री मोदी व्यक्तिगत रूप से दोनों देशों के नेताओं के साथ बैठकों में शामिल रहे हैं। विदेश मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जुलाई में रूस गए थे और फिर अगस्त में यूक्रेन गए। प्रधानमंत्री ने जून में और सितंबर में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की। पिछले महीने प्रधानमंत्री मोदी ने कजान में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ फिर से बैठक की थी। जयशंकर ने कहा कि संघर्ष के कारण, हर दिन रूस और यूक्रेन तथा अमीर देशों के अलावा दुनिया को भी नुकसान उठाना पड़ता है।

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