रामनगर: एसडीएम परिसर में उपवास पर बैठे पूछड़ी के लोग
रामनगर, अमृत विचार। भारतीय जनता पार्टी के बुलडोजर राज के खिलाफ संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर ग्राम पूछड़ी, कालू सिद्ध तथा जन संगठनों कार्यकर्ताओं ने उप जिलाधिकारी कार्यालय परिसर में धरना देने के साथ उपवास रखा तथा मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया।
तहसीलदार कुलदीप पांडे के माध्यम से भेजे गए ज्ञापन में पूछडी व उत्तराखंड में भाजपा सरकार द्वारा लोगों के घर तोड़े जाने पर रोक लगाने, सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा देने, जंगल का काला कानून भारतीय वन अधिनियम, 1927 उत्तरांचल संशोधन 2001 को रद करने, उत्तराखंड में जो व्यक्ति जहां पर निवास कर रहा है उसे वहीं पर नियमित कर मालिकाना हक देने व किसी भी व्यक्ति को हटाने से पूर्व उसको पुनर्वासित करने व पूछड़ी क्षेत्र में लागू बीएनएस की धारा 163 हटाने की मांग की गई।
परिसर में सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चुनाव पूर्व भाजपा सांसद अनिल बलूनी ने वादा किया था कि सभी वन ग्राम वासियों को बिजली, पानी व राजस्व ग्राम का अधिकार मिलेगा तथा किसी को भी हटाया नहीं जाएगा परंतु सत्ता पर आते ही भाजपा अपना वादा भूल गई है और लोगों को बेघर करने पर उतारू हो गई है।
वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में भारतीय वन अधिनियम 1927 उत्तराखंड संशोधन 2001 नाम का काला कानून लागू है जिसमें वनधिकारी को ही न्यायालय के अधिकार भी दे दिए गए हैं। वनाधिकारी के पास नोटिस देने, मुकदमे की सुनवाई करने, मुकदमे का फैसला देने व बेदखली की कार्रवाई करने के सभी अधिकार एक ही अधिकारी को दे दिए गए हैं जो कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 50 का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया है कि न्यायपालिका कार्यपालिका से अलग होगी। अतः इस कानून को तत्काल रद किया जाना चाहिए।
संघर्ष समिति ने कहा कि बुलडोजर राज के खिलाफ जनता का संघर्ष जारी रहेगा। आगामी रणनीति के लिए 4 नवंबर को दिन में 12 बजे से व्यापार भवन में समिति की बैठक का आयोजन किया जाएगा। सभा को महिला एकता मंच की ललिता रावत, रेनू, सरस्वती, उपपा नेता प्रभात ध्यानी, आसिफ अली, इंकलाबी मजदूर केंद्र के रोहित महिला, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की तुलसी सिंबल, आइसा के सुमित, भाकपा-माले के अमन, मोहनराम, किसान संघर्ष समिति के ललित उप्रेती, ठेका मजदूर कल्याण समिति के किशन शर्मा अंजलि, फूल कुमार, राजा, कमल वर्मा समेत बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
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