बहराइच हिंसा: दंगे के बाद अतिक्रमण घोषित हो गए पुस्तैनी मकान, बुलडोजर के खौफ से पलायन जारी

गांव के लोगों से मांगा मानचित्र, डीएम के आदेश की कॉपी

बहराइच हिंसा: दंगे के बाद अतिक्रमण घोषित हो गए पुस्तैनी मकान, बुलडोजर के खौफ से पलायन जारी

बहराइच, अमृत विचार। बहाइच में भड़की हिंसा की आग अब उन लोगों को झुलसा रही है जो अपनी पुस्तैनी जमीन पर वर्षों से मकान बनाकर रह रहे हैं। लोक निर्माण विभाग ने 23 मकानों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी कर ली है। मकान खाली करने के लिए नोटिस जारी हो चुकी है। रविवार को नोटिस में दी गई मियाद भी पूरी हो गई।

हालात यह हैं कि बुलडोजर किस वक्त आकर गरजने लगे इस डर से लोग जितनी जल्दी हो सके मकान से अपनी गृहस्थी समेटकर निकल जाना चाहते हैं। लेकिन दूसरी ओर प्रशासन की इस कार्रवाई से रोष भी बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग ने जिन 23 मकानों को अतिक्रमण बताकर ध्वस्तीकरण का नोटिस दिया है वो उनके पुरखों की जमीन पर बना है। 

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सपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री यासर शाह ने सवाल उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर सवाल किया है कि गांव में नक्शा जारी नहीं होता है। बिना नक्शा के लोग मकान बनवाते हैं। ऐसे में जिला प्रशासन या लोक निर्माण विभाग द्वारा मकान निर्माण के लिए मानचित्र और डीएम के आदेश की प्रति मांगना लोगों को परेशान करने वाला है।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि जिन मकानों को ध्वस्तीकरण का नोटिस दिया गया है वो उनके पुरखों की जमीन पर वर्षों पहले बने थे। आबादी बसने के बाद सड़क का निर्माण हुआ। उस दौरान किसी को नोटिस नहीं दिया गया। जिनकी जमीन लोक निर्माण विभाग ने सड़क के लिए अधिग्रहित की उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया गया था।

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इतने वर्षों से लोक निर्माण विभाग की फाइल में जो निर्माण वैध थे वे अचानक दंगे के बाद अतिक्रमण में कैसे तब्दील हो गए। लोगों का कहना है कि बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने हाल में जो आदेश दिए उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है। प्रशासन बुलडोजर को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। 

लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड के अधिशाषी अभियंता प्रदीप कुमार का कहना है कि यह मार्ग प्रमुख जिला मार्ग 186 ई महराजगंज के किलोमीटर 38 में आता है। इस मार्ग के किनारे कस्बे के लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए नोटिस दिया गया है। इसका अन्य किसी विवाद से कोई लेना देना नहीं है। इसकी चेतावनी एक वर्ष पूर्व ही दी जा चुकी थी।

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पीडब्ल्यूडी विभाग ने सभी 23 चिन्हित मकान स्वामियों से जवाब तीन दिन में जो मांगा है, उसमें मकान निर्माण का मानचित्र और डीएम, एसडीएम के आदेश की कॉपी शामिल है। अब सवाल उठता है कि लोग पुस्तैनी जमीन का दस्तावेज कहां से लाएंगे। ग्रामीण भूमि पर मकान का नक्शा पास कराने का प्राविधान नही है, ऐसे में नक्शे की कॉपी कैसे उपलब्ध करवा पाएंगे।

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