CSU: शास्त्रीय भाषा के रूप में जुड़ी नई भाषाएं, पालि के विकास के लिए कार्य करेगी केन्द्र सरकार
लखनऊ, अमृत विचार: केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के सहनिदेशक तथा संयोजक (बौद्धदर्शन एवं पालि विद्याशाखा) प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी ने बताया कि वर्तमान केन्द्र सरकार के द्वारा पालि भाषा एवं बौद्ध विद्या के विकास के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है। 03 अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्रीय मंत्री-मण्डल के द्वारा पालि सहित चार भाषाओं-प्राकृत, मराठी, बंगाली तथा असमिया को ‘शास्त्रीय भाषा’ के रूप में प्रतिष्ठापित किया गया। केन्द्र सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले से छात्रों में काफी उत्साह है। सरकार के इस निर्णय का सम्पूर्ण देश में स्वागत किया गया।
आपको बता दें कि आईबीसी (इण्टरनेशनल बुद्धिस्ट कान्फेड्रेशन) ने विज्ञान भवन में अन्तर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पालि भाषा के महत्त्व को रेखांकित किया। साथ ही इसके विकास के लिए दृढ़ संकल्पित होकर कार्य करने का इरादा जाहिर किया। इस अवसर पर बौद्ध भिक्खुओं, उपासकों एवं पालि प्रेमियों के द्वारा आईबीसी के माध्यम से पालि भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के लिए प्रधानमन्त्री के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।
पालि अध्ययन-अनुसन्धान केन्द्र के प्रभारी प्रो. नेगी ने आगे बताया कि शास्त्रीय भाषाओं के अध्ययन, अनुसन्धान एवं संवर्धन सम्बन्धी एक उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने विशेषतः पालि-प्राकृत भाषाओं के विकास के लिए अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। भारतीय ज्ञान परम्परा के आलोक में उच्चशिक्षा में पालि के शिक्षण की समुचित व्यवस्था करना तथा स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत पालि को एक विषय के रूप में पढ़ाये जाने पर जोर दिया।
भारतीय भाषा समिति के अध्यक्ष पद्मश्री चमू कृष्ण शास्त्री ने पालि भाषा के शिक्षण-प्रशिक्षण, संगोष्ठियों के आयोजन तथा शब्दकोषों के निर्माण सम्बन्धी अपनी योजना के विषय में विस्तार से प्रकाश डाला। पालि प्रतिनिधि मण्डल में प्रो. वैद्यनाथ लाभ (कुलपति, सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय एवं अध्यक्ष, पालि विकास बोर्ड), प्रो. महेश देवकर (विभागाध्यक्ष, पालि एवं बौद्ध अध्ययन विभाग, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय पूणे), प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी (संयोजक, बौद्धदर्शन एवं पालि विद्याशाखा, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, लखनऊ परिसर) तथा डॉ. वेदव्यास पाण्डेय (सहायक आचार्य, सत्यवती कालेज, नई दिल्ली) शामिल थे। प्रो. बैद्यनाथ लाभ और प्रो. महेश देवकर ने उक्त अवसर पर पालि भाषा तथा साहित्य के महत्त्व पर प्रकाश डाला और इसके विकास के लिए किये जाने वाले कार्यों को समिति के समक्ष प्रस्तुतीकरण किया। पालि प्रतिनिधि मंडल ने शिक्षा मंत्री को खाताग, अंगवस्त्र और साहित्य भेंट करते हुए आभार प्रकट किया।
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