बरेली:वंदे भारत से लेकर राजधानी पर इस साल खूब बरसे पत्थर, मगर पकड़े जाने पर मिलती है ये सजा...

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Published By Pradeep Kumar
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बरेली जंक्शन आरपीएफ जीआरपी क्षेत्र में पड़ने वाले गांवों में जाकर किया जागरूक

बरेली, अमृत विचार। इन दिनों ट्रेनों पर पत्थर फेंकने की घटनाओं पर लगाम लगने के बजाए बढ़ती चली जा रही हैं, ऐसे में रेल प्रशासन खुद इस बात को लेकर फिक्रमंद है कि किस तरह इनको रोका जाए। बरेली जंक्शन आरपीएफ व जीआरपी थाना क्षेत्र में वंदेभारत एक्सप्रेस से लेकर राजधानी एक्सप्रेस तक में पत्थर फेंकने की कुल सात घटनाए इस साल अब तक हो चुकी हैं, लिहाजा आरपीएफ और जीआरपी के पास भी इसे रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम के सिवा दूसरा कोई चारा नहीं। मंगलवार को आरपीएफ और जीआरपी ने संयुक्त रूप से अभियान चलाकर लोगों को इसके बारे में जागरूक किया।

आरपीएफ प्रभारी निरीक्षक बरेली जंक्शन विनीता कुमारी और जीआरपी प्रभारी निरीक्षक अजीत प्रताप सिंह अपने स्टाफ के साथ क्षेत्र में निकले। ट्रेनों पर होने वाली पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर लोगों को जागरूक किया गया। अक्सर देखा गया है कि पत्थरबाजी की घटनाओं के बाद आरपीएफ मुकदमा तो दर्ज करती है लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आते, लिहाजा रेलवे लाइन किनारे पड़ने वाले गांवों में जाकर लोगों को बताया कि अगर कोई ट्रेनों पर पत्थर फेंकता दिखे तो इसकी सूचना तत्काल प्रभाव से आरपीएफ व जीआरपी को दें, लोगों के साथ मोबाइल नंबर भी साझा किए गए। मंगलवार को ठिरिया और चनेहटी गांव में जाकर ग्रामीणों को बताया गया कि यह कानून अपराध है और ट्रेनों पर पत्थर बाजी करने में पकड़े जाने पर लंबे समय तक जेल में रहना पड़ सकता है।

जंक्शन आरपीएफ क्षेत्र में इस साल सात घटनाएं
बरेली जंक्शन आरपीएफ क्षेत्र में इस साल अब तक कुल सात घटनाएं हो चुकी हैं। जिसमें बेगमपुरा एक्सप्रेस, वंदे भारत एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस और सद्भावना एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों पर पत्थर फेंके गए। आरपीएफ प्रभारी निरीक्षक विनीता कुमारी ने बताया कि इन सात मामलों में अब तक सद्भावना एक्सप्रेस पर पत्थर फेंकने के एक आरोपी को पकड़ा गया है। 

ट्रेन पर पत्थर फेंका तो जेल में कट सकते हैं पांच साल
आरपीएफ ट्रेनों पर पत्थर फेंकने के मामलों में रेलवे एक्ट की धारा 153 के तहत रिपोर्ट दर्ज करती है, आरपीएफ के मुताबिक ट्रेन पर पत्थर फेंकना रेलवे में गंभीर अपराध माना गया है। दोषी पाए जाने पर अदालत इन मामलों में पांच साल तक की सजा सुना सकती है।

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