नैनीताल: हाईकोर्ट ने मलिक की जमानत पर राज्य सरकार से दो सप्ताह में मांगा जवाब

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Published By Bhupesh Kanaujia
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विधि संवाददाता, नैनीताल, अमृत विचार। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने बनभूलपुरा हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता अब्दुल मलिक की जमानत अर्जी पर सुनवाई की। खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

सोमवार को मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ में हुई । सुनवाई में अब्दुल मलिक के अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने दिए जमानत प्रार्थनपत्र में कहा है कि जिस दिन यह घटना हुई वह (मलिक) हल्द्वानी में ही नहीं थे, वह दिल्ली में थे।

उन्हें बेवजह फंसाकर उन पर दंगा भड़काने और दंगाइयों का साथ देने का मुकदमा दर्ज कर दिया गया। जब अपराध किया ही नहीं तो झूठा मुकदमा किस आधार पर दर्ज किया गया इसलिए उन्हें जमानत दी जाए। उन्होंने यह भी बताया कि एकलपीठ ने जमानत प्रार्थनपत्र यह कहकर खारिज कर दिया था कि इससे संबंधित जमानत याचिकाओं की सुनवाई खंडपीठ कर रही है, इसलिए खंडपीठ में जाएं। 

मामले में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आरोपी पर यूएपीए जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं, एनआईए एक्ट के तहत सेशन कोर्ट को विशेष कोर्ट का अधिकार प्राप्त हैं। सेशन कोर्ट के आदेश के खिलाफ ही हाईकोर्ट की खंडपीठ में चुनौती दी जा सकती है। इसका  विरोध करते हुए आरोपी की ओर से कहा गया कि सेशन कोर्ट स्पेशल कोर्ट नहीं है इसलिए एकलपीठ जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कर सकती है।

आगे यह भी कहा गया कि इस मामले में रेगुलर पुलिस जांच कर रही है और उन मामलों में खंडपीठ सुनवाई कर सकती है। इसमें एनआईए ने न तो जांच की और न ही उस पर स्पेशल कोर्ट ने निर्णय दिया है। यहां मामले की सुनवाई के बाद सेशन कोर्ट ने जमानत प्रार्थनपत्र खारिज कर दिया। सेशन कोर्ट स्पेशल कोर्ट नहीं है।  मामले के अनुसार 8 फरवरी 2024 को बनभूपुरा हिंसा में अतिक्रमण हटाने गई प्रशासन व पुलिस टीम पर अतिक्रमणकारियों ने पथराव, आगजनी व गोलीबारी की थी। इस हिंसा में 100 से अधिक लोग घायल हुए। पुलिस ने जांच के बाद 100 से अधिक दंगाइयों को गिरफ्तार किया, जिसमें से एक आरोपी यह भी है।

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