लखनऊ: मोहन बागान ने मारी बाजी, Chief Minister कप-2024 किया अपने नाम...सात दशकों बाद फुटबॉल की धमाकेदार वापसी
लखनऊ। मोहन बागान सुपर जायंट्स ने सोमवार को एक सांस रोक देने वाले मुकाबले ईस्ट बंगाल एफसी को पेनल्टी शूटआउट में 1-1 (3-2) से हरा कर मुख्यमंत्री कप 2024 पर कब्जा कर लिया। केडी सिंह बाबू स्टेडियम पर हजारों की तादाद में बैठे खेल प्रेमी देश के दो दिग्गज फुटबॉल क्लबों के बीच रोमांचक जंग का गवाह बने।
निर्धारित समय तक दोनो टीमे 1-1 से बराबरी पर थी जिसके बाद मैच का फैसला पेनल्टी शूटआउट से हुआ। उत्तर प्रदेश में फुटबॉल के प्रोत्साहन के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ ने इस मैच का आयोजन लखनऊ में किया था। मोहन बागान इससे पहले 1955 में यहां के एक निजी क्लब के खिलाफ खेली थी जबकि ईस्ट बंगाल के लिये नवाबों की जमीन पर यह पहला अनुभव था।
मैच का पहला गोल मोहन बागान के खाते में मैच क 18वें मिनट पर आया जब सलाउद्दीन के मिड लाइन के करीब से मारी गयी फ्री किक को सुहेल भट्ट ने खूबसूरती से बाक्स पर डाल दिया। इसके बाद दोनो टीमों ने एक दूसरे पर हमले किये मगर रक्षा पंक्ति ने उन्हे विफल कर दिया। हॉफ टाइम तक मोहन बागान एक गोल की लीड लिये हुयी थी।
दूसरे हाॅफ में मैच के 56वें मिनट में मोहन बागान को गोल करने का एक और सुनहरा मौका मिला मगर गेंद पोस्ट से टकरा कर निकल गयी। ईस्ट बंगाल ने इस बीच जवाबी हमले जारी रखे,नतीजन मैच के 71वें मिनट में वह बराबरी करने में सफल हुये जब अमन बायीं ओर से ड्रिबल करते हुये मुहम्मद आशिक को पास दिया और उन्होने गेंद को बाक्स में लुढ़का दिया।
ईस्ट बंगाल को इस बीच एक झटका मैच के 80वें मिनट में लगा जब सायन बनर्जी को दूसरी बार पीला कार्ड दिखाया गया और उसे दस खिलाड़ियों के साथ बाकी के दस मिनट गुजारने पड़े हालांकि ईस्ट बंगाल ने मोहन बागान के हमलों का बखूबी बचाव किया और मैच निर्धारित समय में 1-1 की बराबरी पर समाप्त हुआ और पेनल्टी शूट आउट में चला गया। शूटआउट में ईस्ट बंगाल अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका। ईबीएफसी के गोलकीपर ने कुछ अच्छे प्रयास बचाए लेकिन शुरुआत में वे दो शॉट चूक गए और टीम को इसकी कीमत हार के तौर पर चुकानी पड़ी।
गौरतलब है कि मोहन बागान और ईस्ट बंगाल की टीमें कोलकाता में 1925 में शुरू हुई प्रतिद्वंद्विता के बाद से अब तक 22 शहरों में 340 बार एक-दूसरे के खिलाफ भिड़ चुकी हैं। ईस्ट बंगाल के 104 साल के समृद्ध इतिहास में वह कभी उत्तर प्रदेश की राजधानी में नहीं खेला जबकि 1889 में स्थापित मोहन बागान 69 साल बाद लखनऊ में मैदान पर उतरा। एकमात्र बार वे यहां 30 अगस्त, 1955 को खेले थे, जिसमें लखनऊ इलेवन के साथ एक प्रदर्शनी मैच 1-1 से ड्रॉ रहा था।
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