Ganesh Chaturthi 2024: सर्वार्थ सिद्धि योग में करें गजानंद की स्थापना, जाने क्या है शुभ मुहूर्त

Ganesh Chaturthi 2024: सर्वार्थ सिद्धि योग में करें गजानंद की स्थापना, जाने क्या है शुभ मुहूर्त

लखनऊ, अमृत विचारः हर साल की तरह इस साल भी गणपति बप्पा 10 दिनों के लिए कैलाश से धरती पर आने वाले हैं। भक्तों के बीच आकर उनके कष्टों का निवारण करेंगे। यह 10 दिन बहुत ही स्पेशल होता है। हर कोई भगवान की पूरे भक्तिभाव के साथ पुजा अर्चना करता है। 

गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाई जाती है। इस दिन हर घर में भगवान गणेश विराजमान होते हैं। जगह-जगह बड़े-बड़े पंडालों बनाए जाते हैं। गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित की जाती है। झांकियां सजाई जाती है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस बार गणेश चतुर्थी पर सर्वार्थ सिद्धि, ब्रह्म, रवि और ऐंद्र योग बन रहा है यह योग किसी अनुष्ठान और खरीदी के लिए बहुत ही विशेष है। आइए जानते हैं कि 2024 में गणेश चतुर्थी कब आने वाली है और बप्पा के स्थापाना मुहूर्त क्या है। 

कब है गणेश चतुर्थी 2024?

इस साल गणेश भगवान का आगमन 7 सितंबर को होने वाला है। इस दिन से गणेश उत्सव पूरे 10 दिन के लिए शुरू हो जाएगा। अनंत चतुर्दशी पर यानी की 17 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी का समापन होगा। इसी दिन बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा और उन्हें विदाई दी जाएगी। 

मुहूर्त स्थापना शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 03:01 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 7 सितंबर को शाम 05:37 मिनट पर इसका समापन होगा।

मध्याह्न गणेश पूजा मुहूर्तः सुबह 11:10 से दोपहर 01:39 
गणेश विसर्जन-17 सितंबर 2024
वर्जित चन्द्रदर्शन का समयः सुबह 09:28 से रात 08:59

गणेश उत्सव क्यों 10 दिन मनाते हैं ?

पुराणों के अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन भगवान शंकर और पार्वती माता के पुत्र गणेश का जन्म हुआ था। गणेश उत्सव के रूप में 10 दिन तक बप्पा की विधी-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। पूरे मन से पूजा पाठ करने वालों के सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं। 

पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए भगवान गणेश का आह्वान किया था। महर्षि व्यास श्लोक बोलते गए और गणपति भगवान बिना रुके 10 दिनों तक महाभारत को लिपिबद्ध लिखते गए। इन दस दिनों में भगवान गणेश पर धूल मिट्‌टी की परत जम गई। वहीं 10 दिन बाद यानी की अनंत चतुर्दशी पर बप्पा ने सरस्वती नदी में स्नान कर खुद को साफ किया। इस दिन के बाद से ही दस दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाने लगा।

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