लखनऊ: हरिद्वार की निजी कंपनी बिजली कंपनियों में कर रही घटिया केबल की आपूर्ति, रिपोर्ट में हुआ खुलासा
मुरादाबाद समेत आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में केबिल लगाने पर रोक
लखनऊ, अमृत विचार। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की बिजली वितरण करने वाली सहायक बिजली कंपनियों में हरिद्वार की निजी कंपनी वी मार्क इंडिया लिमिटेड सिडकुल घटिया गुणवत्ता की केबल आपूर्ति कर रही है। केंद्रीय जांच प्रयोगशाला की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। रिपोर्ट आते ही मुरादाबाद समेत आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में तत्काल प्रभाव से केबिल लगाने पर रोक लगा दी गई है। कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के लिए नोटिस दी गई है। इस बीच, पावर कॉरपोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों में जांच के निर्देश दिए हैं। वजह यह है कि इस निजी कंपनी को सभी निगमों में केबिल आपूर्ति का टेंडर मिला हुआ है।
पश्मिांचल विद्युत वितरण निगम ने 726 किलोमीटर केबिल एरियल बंच कंडक्टर के लिए निजी कंपनी को ‘आर्डर’ दिया था। इसकी लागत 23.92 करोड़ बताई गई। निजी कंपनी ने 599 किलोमीटर केबिल आपूर्ति की। केबल की शिकायत आने पर अध्यक्ष डॉ आशीष कुमार ने जांच के निर्देश दिए थे। इस पर पश्मिांचल निगम ने इसके नमूने को सीपीआरआई नोएडा, केसी इंडिया टेस्ट लेबोरेटीज गाजियाबाद व ईआरडीए बड़ोदरा में जांच के लिए भेजा था। तीनों प्रयोगशाला की जांच में पाया गया कि केबिल मानक के विपरीत है।
गारंटेड टेक्निकल पर्टिकुलर (जीटीपी) के तहत तीन कोर 120 एमएम एरियल बंच कंडक्टर के तीनों फेस में अल्युमिनियम का भार 1016 किलोग्राम प्रति किलोमीटर होना चाहिए, पर वह केवल 867 किलोग्राम प्रति किलोमीटर यानी लगभग 149 किलोग्राम प्रति किलोमीटर कम निकला। इसी तरह, एरियल बंच कंडक्टर न्यूट्रल केबल में अल्युमिनियम 256 किलोग्राम प्रति किलोमीटर होना चाहिए, जो 221 किलोग्राम प्रति किलोमीटर यानी लगभग 34 किलोग्राम प्रति किलोमीटर कम निकला। एक्सएलपी केबिल हॉट टेस्ट क्वालिटी इंसुलेशन भी घटिया गुणवत्ता की निकली। इसी प्रकार बड़ोदरा को भेजा गया नमूना भी फेल साबित हुआ है।
इन जिलों में केबिल लगाने पर लगी रोक
जांच रिपोर्ट आते हुए पश्चिमांचल विद्युत निगम ने मुरादाबाद, गाजियाबाद मेरठ व सहारनपुर के अधीक्षण अभियंता स्टोर को निर्देश जारी कर इस केबिल को कहीं न लगाने का निर्देश जारी किया है। सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और गाजियाबाद आदि के अभियंताओं को भी निर्देश जारी कर केबिल लगाने पर रोक लगाने को कहा गया है।
भीषण गर्मी में जल रही थी केबिल,. उठे थे सवाल
भीषण गर्मी के दिनों में बिजली की अधिक मांग होने पर केबिल जल जा रही थीं। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मेरठ में पश्चिमांचल निगम की बिजली दरों की सुनवाई में घटिया गुणवत्ता की केबिल का मुद्दा उठाया था। सुनवाई के दौरान राज्य विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार के अलावा पावर कॉरपोरेशन के उच्चाधिकारी भी मौजूद थे। इसके बाद केबिल जांच के लिए भेजी गई थी। चौंकाने वाली बात यह है कि पश्चिमांचल निगम में निजी कंपनी का लगभग 300 करोड़ का ‘आर्डर’ अभी प्रक्रियाधीन है।
बिजली कंपनियों में बड़े घोटाले की आशंका-अवधेश वर्मा
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कॉरपोरेशन से सभी वितरण कंपनियों में केबिल की जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों में बड़ा घोटाला होने की आशंका है, ऐसे में आपूर्ति किए जा रहे सभी कंपनियों की केबिल की जांच होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि एक साल के भीतर सभी बिजली कंपनियों में अलग-अलग निजी कंपनियों से लगभग एक लाख किलोमीटर एरियल बंच कंडक्टर लगाए गए हैं। मई, जून व जुलाई के महीने में जब सबसे ज्यादा बिजली संकट प्रदेश में रहा। 75 प्रतिशत ‘ब्रेकडाउन’ घटिया एरियल बंच कंडक्टर व ओवरलोडिंग के कारण हुआ था। उन्होंने कहा कि सभी बिजली कंपनियों में केबिल खरीद की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। जो लोग दोषी हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। सभी कंपनियों से एरियल बंच कंडक्टर का नमूना जांच प्रयोगशाला भेजी जाए। एक टीम लगाई जाए ताकि नमूना कोई बदलने न पाए।
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