116 देश मंकी पॉक्स की रडार पर, भारत में भी बढ़ सकता है इसका खतरा... WHO ने जारी की चेतावनी
लखनऊ, अमृत विचारः कोरोना महामारी के बाद पूरी दुनिया में हर थोड़े-थोड़े समय में नए-नए वायरस और बीमारियां सामने आ रही हैं और अपने प्रकोप से लोगों को शिकार बना रही हैं। कोविड-19 के बाद पूरी दुनिया में एक नए तरह का बुखार फैला हुआ है। जिसका नाम एमपॉक्स (Mpox) या फिर मंकी पॉक्स है। अफ्रीका से फैलने वाली ये बीमारी अब दुनिया के 116 देशों में फैल चुकी है। मंकी पॉक्स की चपेट में आकर अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। इस खतरे को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बैठक की और इस स्थिति को आपातकाल घोषित किया है। WHO ने मंकी पॉक्स को एक ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है ये मंकी पॉक्स और कैसे करें इसका बचाव।
WHO ने जारी की चेतावनी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आपातकाल की घोषणा की है क्योंकि एम्पॉक्स वायरस बहुत परेशानी पैदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कई देशों में इससे बीमार होने वाले लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ रही है, इसलिए उन्हें यह निर्णय लेना पड़ा। WHO ने सभी को सावधान रहने को भी कहा है ताकि हालात और खराब न हों। एमपॉक्स से बचने के लिए WHO ने एडवाइजरी भी जारी की गई है। इसमें मंकी पॉक्स से संक्रमित व्यक्ति के दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। अगर घर में कोई व्यक्ति को मंकी पॉक्स हुआ है तो आप साबुन से समय-समय पर हाथ धोते रहें। संक्रमित व्यक्ति की गांठें पूरी तरीके से ठीक होने तक दूर रहें। वहीं ठीक होने के 12 हफ्तों तक संक्रमित व्यक्ति से कोई रिलेशन बनाने में प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करें। इसके अलावा बचने का सबसे अच्छा तरीका है वैक्सीन लगवाएं।
क्या है एमपॉक्स?
एमपॉक्स या कहे की मंकी पॉक्स एक ऐसी बीमारी है जिसकी शुरुआत बुखार से होती हैं। इसके बाद हाथ-पैरों और फिर पूरे शरीर में फोड़े जैसे निकल आते हैं। ये एक संक्रामक बीमारी है जो धीरे-धीरे एक-दूसरे में फैलती है। मंकीपॉक्स की शुरुआत जानवरों से इंसानों में फैलने से हुई थी, लेकिन अब यह बीमारी इंसानों से इंसानों में फैलने लग गई है। एक्सपर्ट का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से या फिर उसके साथ यौन संबंध बनाने से मंकीपॉक्स फैलता है। बच्चों में मंकीपॉक्स के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं और उनमें यह ज्यादा गंभीर साबित हो सकता है।
1958 में आया पहला मामला
1958 में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया था। जहां एक कोलोनी में कुछ बंदरों को रिसर्च के लिए रखा गया था। कांगो (डीआरसी) में पहली बार साल 1970 में इंसानों में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखे गए थे। ये इंसान में फैलने वाला पहला केस था। इसके बाद मिडिल और पश्चिमी अफ्रीकी देशों में मंकीपॉक्स के केस सामने आए। इसी के बाद मंकी पॉक्स के फैलने का सिलसिला शुरू हुआ और अफ्रीका के बाहर अमेरिका, इज़राइल, सिंगापुर में धीरे-धीरे इसके मामले पाए गए। यूके में 2018 में पहली बार एमपॉक्स का एक मामला सामने आया था।
मंकी पॉक्स के क्या हैं लक्षण?
-बुखार आना
-सिरदर्द होना
-शरीर में सूजन होना
-मांसपेशियों में दर्द और पीठ दर्द जैसे सामान्य लक्षण नजर आना
-बुखार कम होने पर शरीर पर चकत्ते आने। यह पहले चेहरे से शुरू हो कर फिर शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल जाता है
-चकत्तों में खुजली या दर्द होना
-शुरू में सही से इलाज होने पर ये संक्रमण 14 से 21 दिनों में ठीक हो जाता है। हालांकि गंभीर घाव होने पर उसे भरने में थोड़ा वक्त लगता है।
कैसे फैलता है एमपॉक्स?
मंकी पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है जो एक दूसरे के संपर्क में आने से फैल सकती है। संक्रमित व्यक्ति के नजदीक जाने से, उसके साथ यौन संबंध रखने से यह फैल सकता है। मंकी पॉक्स का वायरस आपकी आंख, नाक और मुंह के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है। जिस तरह कोरोना में आइसोलेशन को फॉलो किया गया था उसी तरह मंकी पॉक्स में भी करना होता है। जिससे यह लोगों में न फैले। जैसे की संक्रमित व्यक्ति के बिस्तर, बर्तन, कपड़े आदि से दूर रहे।
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