भारतीय उच्च शिक्षा

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Published By Vishal Singh
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उच्च शिक्षा एक संवेदनशील क्षेत्र है। उच्च शिक्षण संस्थान हमारी शिक्षा के पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक जीवंत बनाने और युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हाल ही में राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) 2024 की घोषणा की गई, जिसमें भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों की उत्कृष्टता और उपलब्धियों को प्रदर्शित किया गया। उम्मीद की जा सकती है कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में मूल्यांकन, मान्यता और रैंकिंग के लिए मजबूत और एकीकृत प्रणाली प्रमुख भूमिका निभाएगी। हालांकि जनसंख्या के अनुपात में उच्च शिक्षण संस्थानों की संख्या एवं गुणवत्ता की दृष्टि से भारत की स्थिति सुखद नहीं है।

एनआईआरएफ रैंकिंग राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की भावना को गहराई से प्रतिबिंबित करती है। एनआईआरएफ विभिन्न मापदंडों के आधार पर देश भर के संस्थानों को रैंकिंग देने की एक पद्धति है। इस वर्ष सभी श्रेणियों में आईआईटी मद्रास ने लगातार छठे साल शीर्ष स्थान बरकरार रखा। दूसरे स्थान पर आईआईएससी बेंगलुरु और तीसरे स्थान पर आईआईटी बॉम्बे है। इंजीनियरिंग श्रेणी में आईआईटी मद्रास फिर से शीर्ष स्थान पर काबिज है।

उसके बाद आईआईटी दिल्ली दूसरे और आईआईटी बॉम्बे तीसरे स्थान पर है। विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में  आईआईएससी बंगलूरू पहले स्थान पर रहा, उसके बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और जामिया मिलिया इस्लामिया का स्थान रहा। इस साल की रैंकिंग में तीन नई कैटेगरी भी शामिल की गई हैं। एनआईआरएफ रैंकिंग सूची 16 विभिन्न श्रेणियों के लिए जारी की गई है। तीन नई श्रेणियां-राज्य विश्वविद्यालय, कौशल विश्वविद्यालय और मुक्त विश्वविद्यालय जोड़े गए हैं। रैंकिंग के लिए प्रत्येक मापदंड का महत्व संस्थान की श्रेणी के आधार पर अलग-अलग होता है। 

भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की रैंकिंग करना विशेष रूप से कठिन है। कुछ शिक्षाविदों का मानना है कि कार्यप्रणाली अधिक पारदर्शी होनी चाहिए। अक्सर यह स्पष्ट नहीं होता है कि किसी संस्थान को इसलिए रैंकिंग नहीं दी गई क्योंकि वह पर्याप्त अच्छा नहीं है या इसलिए क्योंकि उसने भाग नहीं लिया। वास्तव में भारतीय ज्ञान परंपरा का पुनराविष्कार और प्रतिष्ठा राष्ट्रीय शिक्षा नीति की केंद्रीय चिंता है।

शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाकर और उसकी पहुंच सर्वसाधारण तक सुनिश्चित करके ही भारत में अंतर्निहित अपरिमित संसाधनों और भारतवासियों की असीम क्षमताओं का पूर्ण विकास संभव है। विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए शैक्षिक उत्कृष्टता का माहौल बनाना होगा। हमारी रैंकिंग व्यवस्था में एक मानदंड के रूप में कौशल को भी शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही ढांचे में शिक्षा के अमूर्त पहलुओं को लाने के लिए तंत्र विकसित करना चाहिए।

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