बरेली: ट्रक के नंबर से चल रही थी डग्गामार बस, आरटीओ ने पकड़ा
बरेली, अमृत विचार। डग्गामार वाहन चालकों ने कार्रवाई से बचने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाना शुरू कर दिए हैं। पकड़े जाने पर यदि चालान हो तो उसका असली मालिक न फंसे इसके लिए नंबर प्लेट में ही फेरबदल कर दी जाती है। ऐसा ही एक मामला सोमवार को सामने आया। मुरादाबाद से बरेली मार्ग पर …
बरेली, अमृत विचार। डग्गामार वाहन चालकों ने कार्रवाई से बचने के लिए नए-नए हथकंडे अपनाना शुरू कर दिए हैं। पकड़े जाने पर यदि चालान हो तो उसका असली मालिक न फंसे इसके लिए नंबर प्लेट में ही फेरबदल कर दी जाती है। ऐसा ही एक मामला सोमवार को सामने आया। मुरादाबाद से बरेली मार्ग पर जब एक डग्गामार बस को पकड़ा गया तो उसका नंबर एक ट्रक का निकला। हैरत की बात यह थी कि ट्रक एक स्कूल के नाम पर पंजीकृत था। ऐसे में अधिकारियों को पूरे मामले में फर्जीवाड़ा साफ नजर आ रहा है। फिलहाल बस को सीज कर दिया गया है।
आरटीओ डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि सोमवार रात वह मेरठ से आ रहे थे। रास्ते में उन्हें मुरादाबाद बरेली मार्ग पर एक डग्गामार बस दिखाई दी। बस को रोक कर जब उसके कागज देखे और इंटरनेट पर जांचा तो उस बस का नंबर एक ट्रक का निकला। साथ ही वह एक स्कूल के नाम पर पंजीकृत थी। ऐसे में आरटीओ को पूरे मामले में फर्जीवाड़ा साफ नजर आ गया।
उन्होंने बस में अपने ड्राइवर को बैठा दिया और उसे परसाखेड़ा रोकने के आदेश दिए। परसाखेड़ा बस के रुकने पर उसमें से सवारियां उतरने को तैयार नहीं थी। इस पर विभाग बस को पुराने बस अड्डे तक लाया। वहां पर सभी सवारियों को उतारा गया और बस को सीज कर दिया गया। तीन दिन बीत जाने के बाद भी उस बस का अभी कोई असली मालिक सामने नहीं आया है। आरटीओ का कहना है कि इस पूरे मामले में जांच कराई जा रही है। संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी।
तीन डग्गामार पकड़ीं, दो का चालान, एक सीज
बुधवार को परिवहन विभाग ने फिर से डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान चालाया। टीम सुबह से ही सिरौली आंवला रूट पर खड़ी हो गई। वहां से निकलने वाली तीन डग्गामार बसों को पकड़ा गया। इसमें से दो बसों के चालान किए गए और एक को सीज कर दिया गया। आरटीओ डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि सिरौली आंवला के रूट पर 22 बसों को परमिट दिया गया है। इनके अलावा चलने वाली सभी बसें डग्गामार है।
डग्गामार बसों से परेशानियों का सफर
परिवहन विभाग डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान चला रहा है, मगर इसका हर्जाना उन बसों में यात्रा कर रहे यात्रियों को भरना पड़ रहा है। बस सीज होने के बाद यात्रियों पर किराए की दोगुनी मार पड़ती है। उन्हें मजबूरी में किसी अन्य वाहन का सहारा लेकर गंतव्य तक पहुंचना होता है। परिवहन मंत्री के आदेश के बाद 13 अक्टूबर से परिवहन विभाग ने पूरे मंडल में डग्गामारों की धर-पकड़ शुरू कर दी है। सैकड़ों वाहनों को सीज किया गया तो कई के चालान हुए है। विभाग का यह अभियान अभी भी चल रहा है, मगर जब किसी डग्गामार बस को सीज किया जाता है तो उसकी मार यात्रियों को झेलनी पड़ती है। बस को सीज करने के बाद उसे या तो आरएम के हवाले किया जाता है या फिर थाने में खड़ा करा दिया जाता है। यात्रियों को बस अड्डे पर छोड़ दिया जाता है।
